पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका के बाद कोर्ट ने जवाब मांगा था लेकिन पीएमओ द्वारा दिए एक पेज के जवाब पर अदालत ने नाराजगी जताई.
पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक याचिका पर पीएमओ द्वारा दिए एक पेज के जवाब पर अदालत ने नाराजगी जताई है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम केयर्स के कानूनी ढांचे से जुड़े सवाल को “महत्वपूर्ण” बताया.
वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दिये गये एक पेज के जवाब पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आपत्ति जताई.
सोफी अहसन की दैनिक जनसत्ता में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अदालत ने अधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर इस मामले में “विस्तृत जवाब” दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को तय की है.
मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, “आपने मामले में जवाब दाखिल किया है. इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर सिर्फ एक पेज? यह केवल एक पृष्ठ का उत्तर है. एक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव (अवर सचिव, प्रधान मंत्री कार्यालय) का हलफनामा है यह इससे आगे कुछ नहीं? इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसपर सिर्फ एक पेज का जवाब है. इस पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिए थी.”
अदालत ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “आप उचित तरीके से जवाब दाखिल करें. यह मामला इतना आसान नहीं है. हमें इसपर विस्तृत जवाब चाहिए. क्योंकि यह मामला शीर्ष अदालत में भी जाएगा. हमें उठाए गए प्रत्येक बिंदु पर एक आदेश पारित करना होगा.”
पीएम केयर्स फंड को लेकर याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान के जरिए मांग की है कि इस फंड को संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत सरकार की संस्था घोषित किया जाये. इसके अलावा फंड की समय-समय पर पीएम केयर्स वेबसाइट पर आडिट रिपोर्ट को भी जारी किया जाये.
इससे पहले इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अवर सचिव की तरफ से एक हलफनामा दायर किया गया था.
जिसमें बताया गया था कि पीएम केयर्स ट्रस्ट में अपने कार्यो का निर्वहन कर रहे हैं. इसमें पारदर्शिता है और फंड का आडिट एक लेखा परीक्षक द्वारा किया जाता है.
बता दें कि भारत में COVID-19 महामारी के बाद, प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति निधि (पीएम CARES फंड ) में राहत 28 मार्च 2020 को बनाई गई थी.
इस फंड का उपयोग कोविड-19 के प्रकोप और भविष्य में स्थितियों जैसी महामारी के खिलाफ मुकाबला और राहत और राहत प्रयासों के लिए किया जाएगा.
हालाँकि, निधि के गठन के लिए दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, भारत सरकार ने कहा है कि भारत के प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी, फंड के अध्यक्ष हैं, और उन ट्रस्टियों में रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह शामिल हैं; भारत सरकार में गृह मामलों के मंत्री, अमित शाह और वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण.
पीएम केयर्स फंड को अपनी स्थापना, कार्यप्रणाली और खातों के संबंध में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है.
दान किए गए धन की कुल राशि और दानदाताओं के नामों की सार्वजनिक रूप से तफसील नहीं बताई गई है, और निधि का निजी रूप से ऑडिट किया गया है.
भारत सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि PM CARES फंड एक सार्वजनिक प्राधिकरण है. मोदी सरकार ने धन की जानकारी देने से मन कर दिया और कहा की पारदर्शिता कानून जैसे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 इस फण्ड पर लागू नहीं होते.
19 मई 2020 को टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पीएम केयर्स फंड अपनी स्थापना के पहले दो महीनों के अंदर 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर या ₹ 10,600 करोड़ रूपये) की अनुमानित राशि प्राप्त किया था, लेकिन कहा गया है कि दान की कुल राशि पर डेटा था खुलासा नहीं किया गया प्राप्त भारत सरकार द्वारा और संभवतः इस राशि को पार कर सकता है.
विभिन्न निगमों और व्यक्तियों द्वारा घोषित किए गए दान की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समाचार रिपोर्टों के आधार पर, टाइम्स ऑफ इंडिया ने सुझाव दिया है कि इस राशि का 53% निजी क्षेत्र के निगमों और कर्मचारियों से है, जबकि 42% सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और भारत में उनके कर्मचारियों और शेष 5% व्यक्तियों से है.

