13.1 C
Delhi
Wednesday, November 12, 2025

भारत के लिए मुसलमानों का प्रेम जो गौरी के आक्रमण से बहुत पहले यहाँ बस गए थे

इंडियाभारत के लिए मुसलमानों का प्रेम जो गौरी के आक्रमण से बहुत पहले यहाँ बस गए थे

पैगंबर मुहम्मद ने एक बार कहा था कि मैं भारत की तरफ से दिव्य सुगंध को सूंघता हूं। हज़रत अली ने भी एक बार कहा था कि सबसे पवित्र और सुगंधित स्थान भारत है

जैसा की हम पहले बता चुके हैं कि तुर्क, अरब और मध्य एशियाई देशों की सेनाओं से बहुत पहले ही भारत को मुसलमानों ने अपना घर बनाना शुरू कर दिया था। भारत को पसंद करने की एक वजह यह भी थी की पैगंबर साहिब ने एक बार कहा था कि मुझे हिन्द की तरफ़ से रब्बानी (ईश्वरीय) खुश्बू आती है। हज़रत अली ने भी एक बार कहा था कि सब से पाकीज़ा और खुशबूदार स्थान हिन्द है। ज़ाहिर कि जिस देश के बारे में इतनी अच्छी बातें किसी पैगंबर और एक ईमाम ने कही हों तो वहां कौन बसना नहीं चाहेगा। इब्ने कसीर ने फुतुह उल सलातीन में लिखा है कि ग़ौरी के हमलों से पचास साल पहले भी बनारस में मुसलमानों के आबाद होने के सुबूत मिलते हैं। ख़लीक़ अहमद निज़ामी की रिसर्च के अनुसार उत्तर प्रदेश के बदायूं, बहराईच, बिलग्राम और उन्नाव समेत ऐसे आने स्थान हैं जहाँ पर कई मुसलमानों की क़ब्रों पर ग़ौरी के हमले से पहले की तारीख़ पड़ी है।

सयद अली हजवेरी

कई सूफ़ियों के मज़ारों के गद्दी नशीनों का भी यह कहना है कि उनके पूर्वज ग़ौरी के हमलों से बहुत पहले भारत में आकर बस गए थे। इस का सब से बड़ा सुबूत (अखंड भारत के शहर) लाहौर में दाता दरबार नाम की दरगाह है। यह उन्हीं सूफी बुज़ुर्ग की दरगाह है जो 11 वीं सदी में लाहौर में आकर बस गए थे ,उनका नाम सयद अली हजवेरी था। लाहौर के हिन्दू उनसे बहुत श्रध्दा रखते थे और उनको प्यार से दाता गंज बख़्श कहने लगे थे। ज़ाहिर है कि वह कोई सेनानी या बादशाह नहीं थे और ना ही उनके हाथ में कोई तलवार थी। वैसे भी इस बात से हर आदमी सहमत होगा कि तलवार से देश तो जीते जा सकते हैं दिल नहीं। सयद अली हजवेरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद के नवासे इमाम हसन के वंशज थे। उनकी दरगाह को अब दाता दरबार कहा जाता है।

भारत में सब से बड़े सूफ़ी बुज़ुर्ग

भारत में सब से बड़े सूफ़ी बुज़ुर्ग का दर्जा रखने वाले ख्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती (जिन्हें सब अजमेर वाले ख़्वाजा या ख़्वाजा गरीब नवाज़ कहते हैं) भी भारत में गौरी के हमले से पहले आ गए थे। जब वह भारत आये तो पहले कुछ दिन लाहौर में दाता दरबार में रहे फिर वह पटियाला के नज़दीक स्तिथ समाना क़स्बे में ईमाम ए मशहद की दरगाह पर गए उसके बाद उन्होंने अजमेर को अपना घर बनाया। उनके अजमेर में बसने के कुछ दिन बाद ही मोहम्मद ग़ौरी ने राजपूताने के राजा पृथ्वी राज चौहान को परास्त करके उनके राज्य पर क़ब्ज़ा कर लिया। कुछ लोग ग़ौरी और पृथ्वी राज चौहान की लड़ाई के हिन्दू मुस्लिम के चश्मे से देखते हैं लेकिन उसमें धर्म का कोई अंश नहीं था वह दो शासकों के बीच का युद्द था।

अगर हिंदुत्व और इस्लाम की लड़ाई होती तो भारत के अन्य राज्यों के शासकों ने पृथ्वी राज का साथ क्यों नहीं दिया ? अगर ग़ौरी और पृथ्वी राज की लड़ाई धर्म की लड़ाई थी तो कन्नौज और वाराणसी के बड़े इलाक़े पर राज्य करने वाले राजा जयचंद ने पृथ्वी राज का साथ क्यों नहीं दिया ?

गोरी की रक्षा के लिए राजा जयचंद ने पृथ्वी राज चौहान को धोखा दिया

जबकि कामिल उल तवारीख़ नामक पुस्तक में लिखा गया है कि राजा जयचंद के पास दस लाख सिपाही और 700 हाथियों पर आधारित बहुत बड़ी सेना मौजूद थी बल्कि अधिकतर लोग तो यह समझते हैं कि राजा जयचंद ने पृथ्वी राज चौहान के साथ धोखा किया और ग़ौरी की ढके छुपे सहायता की।

सब से ज़्यादा अहम बात यह है कि ग़ौरी की विजय के बाद भारत में जो भी हुकूमत बनी उसने इस्लाम का नाम नहीं लिया। कभी ग़ुलाम वंश की सलतनत बनी कभी तुग़लक़ कभी सय्यद कभी लोधी और कभी मुग़ल सलतनत के शासकों ने भारत पर राज किया मगर किसी ने खुद को इस्लामी या मुस्लिम सलतनत नहीं कहा। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन शासकों ने बाहरी लोगों के हमलों का मुक़ाबला भी जम कर किया। तैमूर ने भारत पर हमला किया तो तुग़लक़ वंश सामने आया , बाबर ने हमला किया तो लोधी वंश टकराया और नादिर शाह ने हमला किया तो मुग़ल सेना की ओर से उसका मुक़ाबला अवध के नवाब बुरहान उल मुल्क ने किया।

मुस्लिम शासकों ने भारत को एक देश में एकीकृत किया, न कि छोटे राज्यों में जैसा कि पहले था

यह भी एक सच है कि मुस्लिम शासकों ने भारत वर्ष को छोटे छोटे राज्यों की जगह एक विशाल देश की शक्ल देने के साथ उसको फिर से एक उपमहाद्वीप में बदला। दूसरी अहम बात यह है कि किसी भी मुस्लिम शासक ने अंग्रज़ों की तरह इस मुल्क को अपना ग़ुलाम बना कर (अपने देश में बैठ कर) शासन नहीं किया बल्कि इस देश की ज़िंदगी का हिस्सा बन कर रहे और और यहीं बस कर इसी मिटटी में दफ़्न भी हुए। भारत पर जब बाहर से कोई हमला हुआ तो इस देश की रक्षा करने में भी इन शासकों ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी। (जारी)

1 – पहला भाग

2 – दूसरा भाग

3 – तीसरा भाग

4 – चौथा भाग

5 – पांचवां भाग

6 – छठा भाग

7 – सातवां भाग

8 – आठवां भाग

9 – नौवां भाग

10 – दसवां भाग

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles