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Wednesday, November 12, 2025

भारत में, हिंदू साम्राज्यों ने प्रदेशों पर विजय के लिए एक-दूसरे से युद्ध की

इंडियाभारत में, हिंदू साम्राज्यों ने प्रदेशों पर विजय के लिए एक-दूसरे से युद्ध की

मुस्लिम राजाओं ने भी अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए हिंदू राजाओं से लड़ाइयाँ लड़ीं

जिस समय भारतीय उपमहाद्वीप में अरब, तुर्क, ईरानी और मध्य एशिया के अन्य क्षेत्रों से लगातार लोग पलायन कर रहे थे उस समय भारत में कोई एक राज्य नहीं था। इस भूखंड के अलग अलग भागों में अलग अलग राजा शासन कर रहे थे। सिंध और बलूचिस्तान एक राज्य था तो मालवा दूसरा, कान्यकुब्ज (कन्नौज) और वाराणसी एक राज्य थे तो राजपूताना दूसरा राज्य था। बंगाल में अलग वंश शासन करता था तो दक्षिणी भाग में किसी और राजा का हुक्म चलता था। किसी राज्य का नाम थानेसर था तो किसी राज्य को मथुरा कहा जाता था। इन सब राज्यों के राजाओं के बीच युद्ध भी होते रहते थे और एक दूसरे के राज्य पर क़ब्ज़ा करने का रिवाज भी था।

मुस्लिम राजाओं ने धार्मिक कारणों से नहीं बल्कि साम्राज्यों के विस्तार के लिए हिंदू राजाओं से लड़ाई लड़ी

हम पहले ही लिख चुके हैं की सत्ता के लोभ में शासक इतना आगे बढ़ जाते हैं कि उनको अपने राज्य के विस्तार के अलावा कुछ नज़र नहीं आता। ज़ाहिर है कि एक हिन्दू राजा जब हिन्दू राजा के राज्य पर हमला करता था तो उसमें धर्म बीच में नहीं आता था। इसी प्रकार जो मुस्लिम राजा उस समय की राजाओं पर हमला कर रहे थे उनको धर्म से कुछ लेना देना नहीं था बल्कि केवल अपने राज्य के विस्तार से मतलब था। महमूद ग़ज़नवी और मोहम्मद गौरी अगर भारत के शासकों पर हमले कर रहे थे तो उसमें इस्लाम से कोई लेना देना नहीं था बल्कि केवल दौलत हसिल करना और अपने शासन का दायरा बढ़ाना ही उनका उद्देश्य था।

जो लोग महमूद ग़ज़नवी के हमलों को हिन्दू मुस्लिम युद्ध का नाम देते हैं वह इस बात को छुपाते हैं कि महमूद ग़ज़नवी ने अपने ही सगे भाई इस्माइल की हत्या करके उससे राज्य छीन लिया था। इस्माइल को उसके पिता सुबक्तगीन ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था लेकिन महमूद ने अपने बड़े भाई को हरा कर ग़ज़नी पर क़ब्ज़ा कर लिया था। इसी तरह इस बात का भी कोई ज़िक्र नहीं किया जाता कि महमूद ग़ज़नवी ने भारत पर हमले करने से पहले मुस्लिम राज्यों को नष्ट किया था ?

अगर वह भारत में इस्लाम ला रहा था तो उसने सीस्तान के मुस्लिम शासक ख़लफ़ इब्ने अहमद का राज्य क्यों नष्ट किया?

इसी तरह मोहम्मद गौरी के हमलों को भी लोग मुसलमानों के आगमन से जोड़ते हैं। जबकि ग़ौरी ने भारत पर आक्रमण से पहले कितने मुसलमानों का खून बहाया इस का लेखा जोखा भी इतिहास में मौजूद है। ग़ौर प्रदेश पर क़ब्ज़ा करने के लिए क्या उसने अपने भाई के साथ मिल कर ग़ौर के शासक अबुल अब्बास को क़त्ल नहीं किया था ?

क्या ग़ौरी ने अपने सगे चाचा के विरुद्ध युद्ध नहीं छेड़ा था और अपने चाचा को हरा कर हेरात और बलख़ के सलजूक़ी गवर्नर की हत्या नहीं की थी ?

क्या मोहम्मद ग़ौरी ने हेरात और पुशांग पर क़ब्ज़ा नहीं किया ? क्या यह सब युद्ध उस ने सत्ता के लिए नहीं इस्लाम के लिए किये थे ?

सच तो यह है कि भारत में इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ नहीं बल्कि व्यापारियों, उलेमा और सूफियों के साथ आया। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग द्वारा 1964 ई. में छपी एक पुस्तिका में यही बात इन शब्दों में लिखी गई है “भारत में इस्लाम के प्रभाव और मुसलमानों की बढ़ती संख्या की कहानी लगभग बारह सौ साल पहले की है। इतिहास में हमलों का उल्लेख है, लेकिन शांतिपूर्ण आंदोलनों की अक्सर अनदेखी की जाती है। भारत आने वाले पहले मुसलमान सेनानी नहीं थे जो 712 ई. में मुहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के बाद आए थे। इसके विपरीत, अरब नाविक और व्यापारी थे जो उनसे पहले भारत आए थे और केरल के तटों पर बस गए थे। भारत आने वाले पहले मुसलमान मस्क़त और हुर्मुज के नव मुस्लिम अरब व्यापारी थे जो मालाबार के तट पर बस गए थे। इस विचार का समर्थन श्री. एम पनिकर की पुस्तक “केरल का इतिहास” में भी किया गया है।‘’ परन्तु अब यह बात भारत सरकार का कोई विभाग नहीं लिख सकता।

दलितों ने कैसे अपनाया इस्लाम

प्रोफ़ेसर ख़लीक़ अहमद निज़ामी ने दिल्ली सलतनत की स्थापना का वर्णन करते हुए लिखा है कि “यद्यपि तुर्कों के बढ़ते हुए राजनितिक प्रभाव को रोकने के लिए उत्तर में राजपूतों ने गज़नवी शासकों के युग में बहुत प्रबलता के साथ प्रयास किये लेकिन मुस्लिम व्यापारी, उलेमा, सूफ़ी और धर्म प्रचारक बिना युद्ध किये इस देश में प्रवेश करते रहे और अनेक महत्व पूर्ण स्थानों में बस गए। यह लोग आम तौर पर दलितों की बस्तियों में रहने लगे। जिसके कारण हज़ारों वर्ष से ज़ुल्म का शिकार होने वाले दलित इस्लाम की छाँव में आने लगे।”
आगले भाग में हम आप को उन सूफ़ियों के बारे में जानकारी देंगे जो ग़ज़नवी और ग़ौरी के हमलों से बहुत पहले ही भारत को हमेशा के लिए अपना घर बना चुके थे। (जारी)

1 – पहला भाग

2 – दूसरा भाग

3 – तीसरा भाग

4 – चौथा भाग

5 – पांचवां भाग

6 – छठा भाग

7 – सातवां भाग

8 – आठवां भाग

9 – नौवां भाग

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