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Wednesday, November 12, 2025

मुसलमान बाहर से भारत आए जबकि दलितों ने इस्लाम धर्म अपना लिया?

इंडियामुसलमान बाहर से भारत आए जबकि दलितों ने इस्लाम धर्म अपना लिया?

बोहरा, सैय्यद, पठान, मिर्जा, मुगल, सिद्दीक़ी, फ़ारूकी, उस्मानी और अंसारी अरब, इराक, ईरान, तुर्की और अफग़ानिस्तान से आए थे। जाति व्यवस्था से बचने के लिए दलितों ने इस्लाम धर्म अपना लिया

जैसा कि मैं ने बताया कि उत्तरी भारत में मुसलमान शांतिपूर्वक ढंग से लगातार ज़मीनी रास्तों से आ रहे थे और तटीय क्षेत्रों में वह जहाज़ों के ज़रिये आ रहे थे और उनका भारत में आना ग़ौरी और ग़ज़नवी के हमलों से बहुत पहले शुरू हो गया था। इसी क्रम में बोहरा समुदाय के बारे में कुछ बात करना ज़रूरी है।

इस्माइली मुसलमान और बोहरा वर्ग

भारत को दसवीं शताब्दी में अपना घर बनाने वालों में इस्माईली मुसलमानों का वर्ग भी शामिल है। इनको अब हम सब बोहरा वर्ग के नाम से जानते हैं। यह लोग शिया वर्ग का एक हिस्सा थे मगर शियों के छठे ईमाम हज़रत जाफ़र ए सादिक़ की (765 ई० में) शहादत के बाद उनके पुत्र हज़रत इस्माईल और हज़रत मूसी ए काज़िम के उत्तराधिकार को ले कर शिया समुदाय में फूट पड़ गई जिस के कारण एक नए वर्ग का उदय हुआ, जिसको इस्माईली कहा गया। इस वर्ग के लोगों को इतनी ताक़त मिली कि इन लोगों ने मिश्र समेत अफ़्रीक़ा के बड़े हिस्से पर 909 से लेकर 1171ई० तक राज्य किया जिसको इतिहास में फ़ातमी सलतनत कहा जाता है।

इस्माईली वर्ग के लोगों का भारत में काफी आना जाना रहा यह लोग अरब से व्यापार करने के लिए गुजरात की बंदरगाहों पर उतरा करते थे। इन लोगों ने दसवीं शताब्दी में भारत में रहना भी शुरू कर दिया और गुजरात के शहर सूरत के अपना केंद्र बनाया। ऐतिहासिक साक्ष्यों से मालूम पड़ता है कि बोहरा वर्ग के 26 वें धर्म गुरु दाऊद बिन अजब शाह का निधन 997 ई० में हुआ तो भारत में रहने वाले उनके अत्तराधिकारी बुरहान उद्दीन क़ुतुब शाह बोहरा समुदाय के 27 वें धर्म गुरु बन गए।

गौरी संघर्ष से 200 साल पहले, मुसलमानों ने भारत को अपना घर बना लिया

इससे मालूम पड़ता है कि भारत में मुसलमान ग़ौरी और पृथ्वी राज चौहान के टकराव से 200 साल पूर्व भारत को अपना घर बना चुके थे। जब 1171 में फ़ातिमी सलतनत ख़त्म हुई तो उसके बाद तो मिश्र और अफ़्रीक़ी देशों से भी बोहरा वर्ग को पलायन करना पड़ा और इस्माईली वर्ग को भारत में वोहरा (व्यापारी) का नाम मिला जो बाद में बोहरा हो गया।

बोहरा समुदाय ने किसी हिंदू का धर्मांतरण नहीं किया

बोहरा वर्ग की विशेषता यह है कि यह लोग अपने धर्म में किसी को शामिल होने नहीं देते। कोई भी व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तित करके बोहरा वर्ग में शामिल नहीं हो सकता। यह बात अपने आप में इस बात की दलील है कि बहुत से मुसलमान भारत में आये तो मगर उन्होंने धर्म परिवर्तन करने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया। यहाँ पर एक बात कहना ज़रूरी है कि संघ परिवार की और से लगातार यह कहा जाता है कि मुसलमानों और हिन्दुओं का डी एन ए एक ही है और सब एक ही पूर्वज की औलाद हैं, लेकिन इस कथन के पीछे की बात यह है कि सारे मुसलमानों पर यह लेबल लगा दिया जाता है कि उनके पूर्वजों ने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया था। जबकि सच तो यह है की बोहरों के अलावा सभी सय्यद, पठान, मिर्ज़ा, मुग़ल, सिद्दीक़ी, फ़ारूक़ी, उस्मानी और अंसारी अरब, ईराक़, ईरान, तुर्की और अफ़ग़ानिस्तान से आये हैं।

दलितों ने अमानवीय जाति व्यवस्था से बचने के लिए इस्लाम धर्म अपना लिया

हाँ यह बात हम भी मानते हैं की हज़रत नूह (जिनको भारत में ऋषि मनु कहा जाता है) के तूफ़ान से बच जाने के बाद जो मनुष्य जाति फिर से आबाद हुई उसके रिश्ते से हिन्दुओं और मुसलमानों का डी एन ए एक ही है। मगर यह भी एक सच है की बहुतसे भारतियों ने इस्लाम को क़ुबूल किया और इनमें अधिकतर दलित थे, क्योंकि उस समय दलित वर्ग की हालत इतनी दयनीय थी कि उनको हिन्दू तो क्या इंसान भी नहीं समझा जाता था जिसके कारण दलितों ने बड़ी संख्या में इस्लाम क़ुबूल कर लिया।

ज़ाहिर है कि उनको धर्म परिवर्तित करने के लिए मुसलमानों ने बाध्य नहीं किया बल्कि समाजिक भेदभाव ने उनको मजबूर किया।

भारत के संविधान ने दलितों को उनका हक दिया

ख़ुशी के बात है कि दलितों के महत्व को प्रजातंत्र आने के बाद राजनीतिक दलों और उच्च वर्ग के नेताओं ने समझा और भारत के संविधान में भी बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की कोशिशों से उनके प्रति जो भेदभाव था वह बड़ी हद तक कम हुआ उनको नागरिक अधिकार मिले और समाज में भी उनके बहुत से लोग सर उठा कर चलने लगे। ख़ैर , इन बातों को छोड़ कर हम अपने मुद्दे की तरफ़ आते है और आप के सामने वह बातें रखते हैं जिन से देश में कटुता न फैले बल्कि आपस में मोहब्बत बढ़े। अगले भाग में भी इसी विषय पर हम कुछ अहम साक्ष्य पेश करेंगे और बताएंगे की मुसलमानों को इस देश से क्यों इतना प्रेम रहा है कि वह अपने धरती छोड़ कर इस खूबसूरत देश को अपना घर बनाने लगे। (जारी)

1 – पहला भाग

2 – दूसरा भाग

3 – तीसरा भाग

4 – चौथा भाग

5 – पांचवां भाग

6 – छठा भाग

7 – सातवां भाग

8 – आठवां भाग

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