न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने की गाजापट्टी में पत्रकारों की मौत की कार्रवाई की निंदा
गाजा में हाल ही में हुए इस्राइली हवाई हमले में जब छह फलस्तीनी पत्रकारों की हत्या की गई, तो न्यूयॉर्क स्थित मीडिया स्वतंत्रता संगठन, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे), ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की। सीपीजे ने इसे पत्रकारों की जानबूझकर हत्या कहा। इन पत्रकारों में अल जजीरा के 28 वर्षीय रिपोर्टर अनस अल शरीफ शामिल थे, जिन पर इस्राइली अधिकारियों का दावा है कि वे हमास के एक सक्रिय सदस्य थे। इस घटना ने पत्रकारिता समुदाय में भारी आक्रोश उत्पन्न किया है और स्वतंत्र जांच की मांग का स्वर तेज हो गया है।
कौन, क्या, कहाँ, कब, क्यों और कैसे?
कौन? – न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) एक प्रमुख मीडिया स्वतंत्रता संगठन है, जो पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करता है।
क्या? – सीपीजे ने इस्राइली हवाई हमले में छह पत्रकारों की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
कहाँ? – यह घटना गाजा में हुई, जहां इस्राइली हमले में पत्रकारों की मौत हुई।
कब? – यह घटना हाल ही में, 7 अक्टूबर के बाद हुई, जब इस्राइल ने गाजा पर हमला किया था।
क्यों? – इस्राइली अधिकारियों का कहना है कि पत्रकार अनस अल शरीफ हमास के लिए काम कर रहे थे, लेकिन सीपीजे ने इस दावे को चुनौती दी है।
कैसे? – इस्राइली सैन्य प्रवक्ता ने दावा किया है कि अनस अल शरीफ की हत्या हमास से संबंधित गतिविधियों के कारण की गई, पर सीपीजे ने इसके सबूतों की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया है।
इस्राइल ने अपने दावों को मजबूत करने के लिए कई तस्वीरें साझा की हैं, लेकिन पत्रकारिता के स्वतंत्रता संगठनों का मानना है कि स्वतंत्र जांच आवश्यक है।
इस्राइली सैन्य प्रवक्ता ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि हमले से पहले उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी, जिससे पता चला था कि अनस अल शरीफ हमास की सैन्य शाखा के एक सक्रिय सदस्य थे। इसके साथ ही, उन्होंने तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें अल शरीफ को इस्राइल पर हमले के समय हमास के मास्टरमाइंड याह्या सिनवार के साथ देखा गया।
अल-शरीफ के साथ मारे गए अन्य पत्रकारों की पहचान नहीं की गई है। उनमें से कई अनस के सहयोगी थे और स्वतंत्र पत्रकार भी शामिल थे। सीपीजे ने इस मामले का जिक्र करते हुए कहा कि स्वतंत्र जांच के बिना इस मामले की सच्चाई को प्रमाणित करना संभव नहीं है।
इस्राइल की स्थिति और सीपीजे की प्रतिक्रिया
सीपीजे ने कहा कि इस्राइल के पास गोपनीय सबूत हैं, लेकिन पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए यह आवश्यक है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच हो। उन्होंने कहा, “तस्वीर अपने आप में कोई सबूत नहीं है। कई वरिष्ठ पत्रकार उन लोगों के साथ सेल्फी लेते हैं जिनका उन्होंने साक्षात्कार लिया है। अगर अनस अल शरीफ वास्तव में हमास के लिए काम कर रहे थे, तो इस्राइली अधिकारियों को स्वतंत्र जांचकर्ताओं को गाजा जाने की अनुमति देनी चाहिए।”
इससे पहले, 7 अक्तूबर के हमलों के बाद से अब तक लगभग 190 मीडियाकर्मी मारे जा चुके हैं। यह संघर्ष पत्रकारों के लिए अब तक का सबसे घातक बन गया है। सीपीजे ने 24 पत्रकारों की पहचान की है जिन्हें अपने काम के लिए निशाना बनाया गया और उनकी हत्या की गई।
पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर चिंता
इस घटना के बाद, पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताई गई है। सीपीजे ने कहा कि इस्राइल में पत्रकारों का काम करना बेहद खतरनाक हो गया है। स्वतंत्र पत्रकारिता की रक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है, और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी आगे आना चाहिए।
सीपीजे ने इस मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया है कि वह इस्राइल पर दबाव बनाए ताकि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस्राइल में पत्रकारों की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर उठी आवाजें, एक बार फिर समाज में इस बात की आवश्यकता को उजागर करती हैं कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बचाए रखना कितना जरूरी है। पत्रकारों के प्रति बढ़ती हिंसा के बावजूद मौजूदा स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है।
पत्रकारों की जान की सुरक्षा को सुनिश्चित करना न केवल संबंधित देशों की जिम्मेदारी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक सामान्य मानवाधिकार भी है।
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