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Tuesday, November 11, 2025

हरजिंदर धामी का इस्तीफा: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ने बताई वजह

इंडियाहरजिंदर धामी का इस्तीफा: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ने बताई वजह

अमृतसर: हरजिंदर धामी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

जानिए क्यों छोड़ा पद और क्या हैं इसके निहितार्थ

अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय उन्होंने श्री अकाल तख्त के जत्थेदार के प्रति सम्मान दिखाने के लिए लिया है। धामी का कहना है कि उन्हें शिरोमणि अकाली दल द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति से भी हटाया जाए। उनका इस्तीफा एसजीपीसी कार्यकारी समिति को सौंपा गया है।

यह इस्तीफा क्यों और कब दिया गया?

धामी का इस्तीफा 16 फरवरी 2025 को तब आया जब उन्होंने देखा कि उनके समर्थन में ज्ञानी हरप्रीत सिंह, जो कि श्री अकाल तख्त के जत्थेदार हैं, ने एक पोस्ट की। धामी ने यह भी कहा कि अमेरिका से अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने का जो तरीका अपनाया गया है, वह निंदनीय है। खासकर जब कई सिखों के सिर पर पगड़ी नहीं थी।

धामी का असंतोष और उनके इस्तीफे के कारण

हरजिंदर धामी ने बताया है कि वह इस बात से बेहद खफा थे कि उन्हें अकाली दल पुनर्गठन समिति का प्रमुख बनाया गया था, जबकि उस समिति को अकाली नेतृत्व द्वारा काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। इसके अलावा, धामी ने यह भी कहा कि उन्हें श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार को पद से हटाने के लिए उपयोग किया गया था, जिससे वह काफी आहत महसूस कर रहे थे। इस स्थिति से धामी की असहमति और उनके द्वारा दिए गए इस्तीफे की वजह बन गई है।

धामी का कार्यकाल और योगदान

धामी 1996 से एसजीपीसी के सदस्य रहे हैं और लगातार तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे। उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे, लेकिन अंततः इस स्थिति ने उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। उनके इस्तीफे ने पूरे सिख समुदाय को हिला कर रख दिया है और यह सवाल उठता है कि आगे क्या होगा।

स्थानीय सिख समुदाय की प्रतिक्रिया

स्थानीय सिख समुदाय में धामी के इस्तीफे पर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य उन्हें कमजोर मान रहे हैं। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि धामी के जाने से एसजीपीसी की स्थिति पर भी असर पड़ेगा।

भविष्य की नीति पर विचार

अब सवाल यह उठता है कि अगले अध्यक्ष का चयन किस प्रकार किया जाएगा और क्या नई नीति लाई जाएगी? एसजीपीसी के सदस्य और अन्य संगठनों के बीच बातचीत चल रही है ताकि एक मजबूत नेतृत्व का चुनाव किया जा सके जो सिख समुदाय की अपेक्षाओं पर खरा उतर सके।

सरकारी भूमिका और विचारधारा

सरकार ने धामी के इस्तीफे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार के निर्णय सिख समुदाय के भीतर के मुद्दों से जुड़ी उपेक्षा को दर्शाते हैं। इसके अलावा, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे।

धामी का संदेश और उनकी विरासत

धामी ने इस्तीफे के बाद कहा, “मैंने हमेशा सिख समुदाय की भलाई के लिए काम किया है, और मैं चाहता हूं कि मेरी विरासत को सम्मानित किया जाए।” उनके इस बयान से यह संकेत मिलता है कि उन्होंने अपने पद को केवल एक शक्ति के रूप में नहीं देखा, बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में देखा है।

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए, आप SikhNet और Tribune India की खबरें देख सकते हैं।

अंत में, एसजीपीसी के लिए यह समय बदलाव का है।

हरजिंदर धामी का इस्तीफा न केवल उनके व्यक्तिगत दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि यह सिख समुदाय के अंदर व्याप्त असंतोष और संघर्ष को भी उजागर करता है। अब इंतजार है कि अगला नेतृत्व किस दिशा में जाएगा और क्या वे धामी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ा पाएंगे या नहीं।

 

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