महाकुंभ में हुई भगदड़ पर सपा का सवाल: क्या जानबूझकर छिपाए जा रहे हैं आंकड़े?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली – समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में महाकुंभ हादसे का विशेष मुद्दा उठाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने इस घटना के पीड़ितों के आंकड़े छिपाए हैं। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान, उन्होंने गंभीरता से सवाल किया कि सरकार ने आंकड़े क्यों दबाए और क्या जानबूझकर सच्चाई को छिपाया जा रहा है। महाकुंभ में हुई भगदड़ के परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए और सरकार को इस पर उचित स्पष्टीकरण देना चाहिए।
कौन, क्या, कहाँ, कब, क्यों और कैसे?
कौन: यह मामला समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से संबंधित है, जिन्होंने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया।
क्या: उन्होंने महाकुंभ में हुई भगदड़ के दौरान मारे गए लोगों के आंकड़ों को छिपाने के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया।
कहाँ: यह घटना हरिद्वार में महाकुंभ के दौरान हुई, जहाँ बड़ी संख्या में लोग स्नान करने के लिए एकत्र हुए थे।
कब: यह घटनाक्रम हाल ही में, फरवरी 2025 के पहले सप्ताह में सामने आया है।
क्यों: अखिलेश यादव ने यह आरोप लगाया है कि जानकारी को छिपाने के पीछे की राजनीति समझ में नहीं आती और सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
कैसे: उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है ताकि इस विषय पर सभी दलों की राय ली जा सके और सही आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकें।
आंकड़ों का छिपाना और सरकार की जिम्मेदारी
अखिलेश यादव ने कहा, “अगर सरकार सही आंकड़े नहीं दे रही है, तो हमें समझना चाहिए कि इसमें कोई न कोई गड़बड़ जरूर है। सरकार को चाहिए कि वह महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर स्पष्टता लाए और इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।” उन्होंने यह भी कहा कि संसद में ऐसे आंकड़े पेश किए जाने चाहिए जिससे स्पष्ट हो सके कि कितने लोग इस हादसे का शिकार हुए।
खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी सेना को सौंपने की मांग
सपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि महाकुंभ का आपदा प्रबंधन और सारा ख्याल रखने की जिम्मेदारी सेना को दी जानी चाहिए। यह उचित होगा कि इस तरह के बड़े आयोजनों में सुरक्षा और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न घटित हों।
पीड़ित परिवारों की चिंता
संसद में अपने विरोध प्रदर्शन के बाद सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, “15,000 लोगों ने बताया है कि उनके परिजन लापता हैं, लेकिन सरकार इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दे रही है।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पहले की सरकारें ऐसे मामलों में तुरंत जानकारी देती थीं, जैसे कि 1954 में हुई महाकुंभ की भगदड़ के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद में जानकारी दी थी।
सरकार का अभिभाषण और उसकी प्रतिक्रिया
अखिलेश ने कहा कि जब महाकुंभ में भयानक स्थिति बन गई थी, तब भी सरकार ने केवल औपचारिकता निभाई। उन्होंने इसकी तुलना करते हुए कहा कि जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक संवेदना व्यक्त की थी, तब उत्तर प्रदेश सरकार ने 17 घंटे बाद अपनी प्रतिक्रिया दी। यह न केवल घटिया प्रबंधन को दर्शाता है, बल्कि जनता के प्रति सरकार की उदासीनता को भी उजागर करता है।
हादसे के बाद की स्थिति
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि जब जानकारी मिली कि लोग मारे गए हैं, तब भी सरकार ने अपने सरकारी हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश करने का काम किया। उन्होंने सवाल उठाया कि यह कैसा परंपरागत व्यवहार है, जबकि सच्चाई से छुपने का प्रयास किया जा रहा है।
सच्चाई की तलाश
“यदि मैं झूठ बोल रहा हूं या मेरे दावे झूठे निकले तो मैं लोकसभा से इस्तीफा दे दूंगा,” उन्होंने कहा। यह उनकी दृढ़ता को दर्शाता है कि वह इस मुद्दे को लेकर कितने गंभीर हैं।
आगे की कार्रवाई की आवश्यकता
समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और अखिलेश यादव ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। उन्हें आशा है कि इस मुद्दे पर सभी दल अपनी राय देंगे और सरकार को सही आंकड़े प्रस्तुत करने के लिए मजबूर करेंगे।
अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाकर यह दिखा दिया है कि जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय है कि सरकार घटनाओं से सबक ले और जनता को सही जानकारी दे।
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