प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के तीसरे संस्करण में संतुलित और समावेशी विकास के लिए एक व्यापक ‘वैश्विक विकास समझौते’ का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का उद्देश्य ग्लोबल साउथ देशों को विकास की दिशा में मजबूत सहयोग प्रदान करना है।
अपने समापन भाषण में, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विकास यात्रा और साझेदारी के अनुभवों पर आधारित इस समझौते की नींव रखी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह समझौता ग्लोबल साउथ देशों की स्वयं निर्धारित विकास प्राथमिकताओं पर केंद्रित होगा और मानव केंद्रित, बहुआयामी दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह समझौता डेवलपमेंट फाइनेंस के नाम पर जरूरतमंद देशों को कर्ज के बोझ तले नहीं दबाएगा, बल्कि संतुलित और सतत विकास के लिए साझेदार देशों के साथ सहयोग करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत व्यापार संवर्धन गतिविधियों के लिए 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के विशेष फंड की शुरुआत करेगा। इसके अलावा, क्षमता निर्माण के लिए ट्रेड पॉलिसी और व्यापार वार्ता में ट्रेनिंग के लिए एक मिलियन डॉलर का फंड भी प्रदान किया जाएगा।
मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ देशों में वित्तीय तनाव और विकास निधि के लिए भारत, एसडीजी प्रोत्साहन नेतृत्व समूह में सहयोग कर रहा है। भारत सस्ती और प्रभावी जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने और औषधि नियामक प्रशिक्षण में भी सहयोग करेगा। इसके अलावा, उन्होंने कृषि क्षेत्र में ‘प्राकृतिक खेती’ के अनुभव और तकनीकी को साझा करने की खुशी व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने ग्लोबल नॉर्थ और साउथ के बीच की खाई को पाटने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगले महीने यूएन में होने वाला भविष्य का शिखर सम्मेलन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

