बिहार में पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान, लेकिन राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों ने बढ़ाई हलचल
पहला चरण संपन्न, 65.08 फीसदी मतदान का नया रिकॉर्ड
बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव का पहला चरण अब समाप्त हो चुका है, और निर्वाचन आयोग ने मतदान का अंतिम आंकड़ा जारी कर दिया है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, इस बार कुल 65.08 फीसदी मतदान हुआ, जो पिछले विधानसभा चुनाव के 57.29 फीसदी से काफी अधिक है। यह वृद्धि मुख्यतः महिलाओं और पुरुषों दोनों के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाती है, क्योंकि इस बार महिलाओं के मतदान में 9.34 फीसदी और पुरुषों में 7 फीसदी का इजाफा देखा गया। ऐसे में कुछ जिले तो ऐसे हैं जहां वोट प्रतिशत में 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। आइए देखते हैं इन आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, मुजफ्फरपुर जिले ने सबसे अधिक मतदान किया, जहां वोट डालने का प्रतिशत 71.41 फीसदी रहा। यह पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 13.2 फीसदी की वृद्धि है। वहीं, पटना का मतदान प्रतिशत 58.40 फीसदी रहा, जो कि पिछले चुनाव में 52.34 फीसदी था। हालांकि, पटना फिर भी पहले चरण के दौरान सबसे कम मतदान करने वाला जिला बना रहा।
मुंगेर में मतदान की वृद्धि: प्रमुख जिलों का हाल
मुंगेर जिले ने इस चुनाव में सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत दर्ज किया है। यहां 63.23 फीसदी मतदान हुआ, जो कि पिछले चुनाव के 50.11 फीसदी से 13.12 फीसदी अधिक है। इसी तरह, समस्तीपुर में भी अच्छी स्थिति रही, जहां मतदान 71.22 फीसदी रहा, जो पिछले चुनाव के मुकाबले 12.28 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है।
सहरसा जिले में 69.15 फीसदी मतदान हुआ, जो 11.21 फीसदी की वृद्धि है। गोपालगंज में 66.58 फीसदी और लखीसराय में 65.05 फीसदी मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया, जहां क्रमशः 10.22 और 10.65 फीसदी की वृद्धि हुई है। ये आंकड़े बिहार में बढ़ती जागरूकता और राजनीतिक सक्रियता के संकेत हैं।
10 फीसदी से कम वृद्धि वाले जिले
हालांकि, कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां मतदान प्रतिशत में वृद्धि अपेक्षाकृत कम दर्ज की गई। बक्सर में 9.62 फीसदी, बेगूसराय में 9.36 फीसदी, और खगड़िया में 9.39 फीसदी की वृद्धि हुई। इसके अलावा वैशाली में 8.71, मधेपुरा में 7.57 और शेखपुरा में 7.04 फीसदी की वृद्धि हुई। दरभंगा, सीवान, नालंदा, और भोजपुर जैसे जिलों में भी मतदान प्रतिशत में वृद्धि 6.91 से लेकर 6.70 फीसदी के बीच रही।
बिहार में मतदान का इतिहास और वर्तमान स्थिति
बिहार में अब तक 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, लेकिन केवल चार बार ही 60 फीसदी से अधिक मतदान हुआ है। यह मतदान न केवल चुनाव की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि नागरिकों में राजनीतिक प्रक्रियाओं के प्रति जागरूकता और भागीदारी बढ़ रही है। पिछले चुनावों में भी बिहार में ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं, जहां मतदान प्रतिशत में बदलाव आया है।
बिहार में मतदान के प्रति उत्साह को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें राजनीतिक दलों की सक्रियता, उम्मीदवारों की छवि, और स्थानीय मुद्दे शामिल हैं। यही कारण है कि कुछ जिलों में मतदान प्रतिशत में अधिक वृद्धि देखी गई, जबकि अन्य जिलों में यह अपेक्षाकृत कम रहा।
इस चुनाव में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। महिलाओं ने राजनीतिक प्रक्रिया में अपनी आवाज उठाई है और मतदान में उनकी संख्या में वृद्धि इसे दर्शाती है।
आगे का क्या: मतदान का भविष्य और राजनीतिक परिदृश्य
पहले चरण के मतदान के परिणामों से यह स्पष्ट है कि बिहार में मतदाता अपनी राजनीतिक भूमिका को समझते हुए अधिक सक्रिय हो रहे हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आने वाले चरणों में मतदान के प्रतिशत को और भी बढ़ाया जा सके।
बिहार चुनावों की यह प्रक्रिया न केवल राजनीतिक दलों के लिए चुनौती है, बल्कि यह राज्य के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। आगामी चरणों में, यह देखना रोचक होगा कि क्या दूसरी और तीसरी चरणों में भी मतदान के ये स्तर बनाए रखे जा सकेंगे, या फिर स्थिति में बदलाव आएगा।
इस चुनाव के मतदान के आंकड़े सिर्फ संख्याएं नहीं हैं, बल्कि यह बिहार के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। गौर से देखे तो यह राज्य के भविष्य का निर्धारण करने में भी सहायक हो सकते हैं।
इस प्रकार, बिहार विधानसभा चुनाव का यह पहला चरण महत्वपूर्ण संकेत दे रहा है कि मतदाता अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में जुटे हुए हैं, और यह लोकतंत्र के समृद्धि के लिए एक अच्छी खबर है। जहां बिहार के पहले चरण की वोटिंग में रिकॉर्ड तोड़ मतदान दर्ज किया गया है, वहीं राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों ने राजनीतिक हलकों में नई गर्मी पैदा कर दी है।
ब्राज़ीली हेयर ड्रेसर की तस्वीर और चुनावी प्रणाली पर उठता बड़ा सवाल
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राज़ील की एक हेयर ड्रेसर लारीसा नेरी ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि भारत के बड़े-बड़े न्यूज़ चैनलों पर उनकी तस्वीर चुनावी धांधली के आरोपों के साथ दिखाई जा रही है, तो उन्हें शुरुआत में यह सब मज़ाक लगा।
लेकिन जल्द ही उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कमेंट्स और टैग्स की बाढ़ आ गई। दक्षिण-पूर्वी ब्राज़ील के शहर बेलो होरिज़ोंटे में रहने वाली नेरी, जो कभी भारत नहीं गईं, इस सब पर हैरान रह गईं। उन्होंने तुरंत गूगल पर जाकर जांच शुरू की कि आखिर यह मामला क्या है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी और चुनाव आयोग पर हरियाणा के पिछले चुनावों में वोटर फ्रॉड का आरोप लगाया। बीजेपी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ ही घंटे बाद हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी ने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर एक पत्र जारी किया, जिसके बारे में उन्होंने बताया कि यह अगस्त में राहुल गांधी को भेजा गया था। इस पत्र में उनसे कहा गया था कि वे कथित ‘फर्ज़ी वोटरों’ के नामों के साथ एक शपथपत्र पर हस्ताक्षर करें ताकि आधिकारिक कार्रवाई शुरू की जा सके।
अगर बीबीसी की यह रिपोर्ट सच साबित होती है, तो यह मामला केवल हरियाणा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत की पूरी चुनावी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करेगा। आने वाले चुनावों में, खासकर बिहार जैसे संवेदनशील राज्यों में, बीजेपी हो या कांग्रेसयह किसी भी पार्टी के लिए एक बड़ी कसौटी साबित हो सकता है। मुख्य सवाल यही है: क्या भारत की चुनावी व्यवस्था वास्तव में पारदर्शी और विश्वसनीय है?

