आईफोन 17 का भारत में धूमधड़ाका: तकनीक, दीवानगी और दिखावे का तमाशा
क्या आपने कभी गौर किया है कि एप्पल के नए आईफोन का लॉन्च अब किसी क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल से कम नहीं लगता? जैसे ही नया मॉडल आता है, न्यूज़ चैनल ब्रेकिंग चलाने लगते हैं, ट्विटर (अब X) पर ट्रेंड शुरू हो जाता है और यूट्यूबर्स की बाढ़ आ जाती है – “फर्स्ट अनबॉक्सिंग इन इंडिया!” – और देश भर के लोग, खासकर युवा, ऐसा व्यवहार करने लगते हैं जैसे आईफोन सिर्फ फोन नहीं बल्कि जीवन का परम लक्ष्य हो।
कतारों का महाकाव्य
19 सितंबर 2023 को आईफोन 17 सीरीज की बिक्री भारत में शुरू हुई। दिल्ली के सेलेक्ट सिटी वॉक मॉल से लेकर मुंबई के बीकेसी स्टोर तक लंबी-लंबी कतारें लग गईं। आधी रात से लोग लाइन में खड़े हैं, मानो रेलवे टिकट के लिए खिड़की खुलने वाली हो। अहमदाबाद से आए मनोज सुबह 5 बजे से इंतजार कर रहे थे। उनकी आंखों में चमक देखकर ऐसा लग रहा था मानो जीवन का उद्देश्य पूरा होने वाला है।
सच यह है कि यह कतारें अब एक कल्चरल इवेंट बन चुकी हैं। कुछ लोग वहां सिर्फ इसलिए जाते हैं ताकि फोटो खिंचवा सकें और सोशल मीडिया पर डाल सकें – “#FirstInLine” – और लाइक्स बटोर सकें। यह आईफोन की असली ताकत है: वह खरीदने से पहले ही आपको महसूस करवा देता है कि आप स्पेशल हैं।
तकनीक या तमाशा?
आईफोन 17 प्रो और प्रो मैक्स के फीचर्स वाकई कमाल के हैं। A19 प्रो चिप, 3nm तकनीक, 6-कोर CPU और 6-कोर GPU – सब सुनने में बहुत हाई-टेक लगता है। 6.9 इंच का सुपर रेटिना XDR डिस्प्ले, 3000 निट्स ब्राइटनेस और 48MP के तीन कैमरे। अगर यही फीचर्स किसी एंड्रॉयड फोन में होते तो लोग कहते – “अरे इतना पैसा क्यों फेंकें?” लेकिन चूंकि यह एप्पल है, तो अचानक यह सब “क्रांतिकारी” लगने लगता है।
और बैटरी बैकअप को लेकर जो दावे हैं, वे भी मजेदार हैं। हर साल एप्पल कहता है – “अबकी बार बैटरी और पावरफुल है” – लेकिन फिर भी लोग पावर बैंक लेकर घूमते हैं।
कीमतों का खेल
आईफोन 17 सीरीज की कीमतें सुनकर लगता है मानो कार बुक करने जा रहे हों:
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आईफोन 17 – ₹82,900 से
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आईफोन 17 प्रो – ₹1,34,900 से
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आईफोन 17 प्रो मैक्स – ₹1,49,900
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आईफोन 17 Air – ₹1,19,900
और फिर भी लोग बिना पलक झपकाए खरीदने को तैयार। EMI का ऑप्शन देखकर खुश हो जाते हैं और अगले 12 महीनों तक बैंक को धन्यवाद देते रहते हैं।
यहां व्यंग्य यही है कि बहुत से लोग फोन खरीदने के बाद अगले दिन इंस्टाग्राम पर स्टोरी डालते हैं – “Finally got it ❤️” – लेकिन वाईफाई पासवर्ड पूछने में संकोच नहीं करते।
सोशल मीडिया शो-ऑफ
सच कहें तो आज आईफोन खरीदना उतना तकनीकी निर्णय नहीं, जितना सामाजिक निर्णय बन चुका है। लोग इसे स्टेटस सिंबल की तरह इस्तेमाल करते हैं। ऑफिस में नए आईफोन से फोटो क्लिक कर के मीटिंग में बैठने का अलग ही स्वैग है।
कुछ लोग तो पुराने आईफोन को भी ऐसे पकड़ते हैं मानो कल ही लॉन्च हुआ हो। बस कवर नया होना चाहिए और हाथ में एप्पल का लोगो चमकना चाहिए। आखिरकार, लोगो ही तो असली चीज है – फोन तो सब कॉल और व्हाट्सऐप ही करता है।
कतारों की मनोविज्ञान
सोचिए, जो लोग रातभर लाइन में खड़े हैं, क्या वे वास्तव में फोन की जरूरत से खड़े हैं या बस इस इवेंट का हिस्सा बनने के लिए? यह एक तरह का FOMO है – Fear of Missing Out। अगर वे पहले दिन नहीं खरीदेंगे तो उन्हें लगेगा कि वे पिछड़ गए हैं।
यही वजह है कि एप्पल की मार्केटिंग गजब काम करती है। हर साल थोड़ा सा नया फीचर जोड़ो, लोगों को लगेगा – “वाह, यह तो जीवन बदल देगा!” और वे फिर से पैसा खर्च कर देंगे।
मीम कल्चर और हकीकत
हर साल की तरह इस साल भी मीम्स की बाढ़ आ गई है –
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“Kidney for sale, iPhone 17 लेना है।”
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“पापा बोले थे बाइक दिलाएंगे, मैंने बोला बाइक की क्या ज़रूरत, आईफोन दे दो।”
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“फोन लिया है, अब एक महीने तक मैगी खाकर गुजारा।”
यह मीम्स सिर्फ हंसी-मजाक नहीं, बल्कि असलियत का आईना हैं। बहुत से लोग सच में अपनी सेविंग्स खतम करके फोन खरीद लेते हैं और फिर पूरे साल उसकी EMI की कहानी दोस्तों को सुनाते हैं।
तकनीक का भविष्य या जेब का बोझ
यह मानना पड़ेगा कि एप्पल ने तकनीक को ग्लैमराइज कर दिया है। आईफोन सिर्फ फोन नहीं, एक “अनुभव” है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या हमें हर साल यह अनुभव लेना जरूरी है? क्या हम इतने अधीर हो गए हैं कि पुराना फोन एक साल भी नहीं झेल सकता?
शायद यही आधुनिक उपभोक्ता का चेहरा है – दिखावे के लिए तैयार, जेब खाली करने को तैयार, लेकिन सोशल मीडिया पर परफेक्ट फोटो डालने में कोई समझौता नहीं।
आईफोन का जादू
आईफोन 17 का लॉन्च फिर साबित करता है कि एप्पल सिर्फ टेक कंपनी नहीं, यह एक सांस्कृतिक घटना है। भारत में यह और भी बड़ा हो जाता है क्योंकि यहां लोग स्टेटस और ब्रांड वैल्यू के लिए पैसा खर्च करने में विश्वास रखते हैं।
और हां, अगर आपने अब तक नया आईफोन नहीं लिया है, तो चिंता मत कीजिए। अगले हफ्ते जब आपके ऑफिस के साथी नया फोन लेकर आएंगे और मीटिंग में अनजाने में फोन टेबल पर रखेंगे, तब आप फिर से सोचेंगे – “यार, मुझे भी लेना चाहिए था…”