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Tuesday, September 16, 2025

नेपाल के राजनीतिक मोड़: सुशीला कार्की बनीं नई अंतरिम प्रधानमंत्री, चुनाव 5 मार्च को

इंडियानेपाल के राजनीतिक मोड़: सुशीला कार्की बनीं नई अंतरिम प्रधानमंत्री, चुनाव 5 मार्च को

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा संसद भंग और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को नई अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का निर्णय

नेपाल की राजनीति में हाल के घटनाक्रमों ने एक बार फिर से सबका ध्यान आकर्षित किया है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा संसद को भंग करने और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को नई अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का निर्णय, न केवल एक ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि देश में आगामी चुनावों की दिशा भी तय करेगा। आगामी आम चुनाव 5 मार्च 2026 को आयोजित किए जाने की योजनाए बनाई गई हैं।

इस बदलाव के पीछे की कहानी में कुछ दिन पहले हुई जोरदार भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन शामिल हैं, जिनके बाद यह निर्णय लिया गया। कार्की की नियुक्ति ने एक नई राजनीतिक दिशा को जन्म दिया है, जिससे नेपाल की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को सामान्य करने की उम्मीद की जा रही है।

सुशीला कार्की का कार्यभार और चुनाव की तैयारी

सुशीला कार्की, जो पहले नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं, ने अंतरिम प्रधानमंत्री का पद संभालने के तुरंत बाद नए फैसले लिए हैं। उनके द्वारा की गई पहली कार्रवाई में 5 मार्च 2026 को आम चुनाव की तारीख का ऐलान शामिल है, जो कि संसद के निचले सदन की प्रतिनिधि सभा के लिए होगा। राष्ट्रपति पौडेल ने उनके इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस चुनाव की जिम्मेदारी भी कार्की पर होगी, जो कि देश में स्थिरता लाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

कार्की ने स्पष्ट किया है कि वह अपने कैबिनेट के सदस्यों को चुनाव में भाग लेने से नहीं रोकेंगी। इससे कैबिनेट में संभावित नाम के तौर पर कुलमन घीसिंग, बालेंद्र शाह बालेन और सुमाना श्रेष्ठ का नाम सामने आया है।

प्रधानमंत्री मोदी की बधाई

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुशीला कार्की को पदभार ग्रहण करने पर बधाई दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि “नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण करने पर सुशीला कार्की को हार्दिक बधाई। भारत नेपाल के भाइयों और बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” यह बयान भारत-नेपाल संबंधों के महत्व को दर्शाता है।

राजनीतिक स्थिरता की दिशा में कदम

नेपाल में पिछले कुछ समय से राजनीतिक गतिरोध चल रहा था, जिसे समाप्त करने के लिए राष्ट्रपति पौडेल और सेना प्रमुख अशोकराज सिगडेल के नेतृत्व में कई उच्चस्तरीय बैठकें हुईं। इन्हीं बैठकों में जेन-जी के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की गई, जिन्होंने संसद भंग करने की मांग की थी। इसके बाद कार्की की नियुक्ति हुई, जो कि नेपाल के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है।

संसद भंग करने का निर्णय राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 61(4) का उपयोग कर लिया गया है, जो कि एक संवैधानिक प्रावधान है। इस प्रक्रिया ने कार्की को न केवल प्रधानमंत्री बनाया है, बल्कि उन्हें नई कैबिनेट बनाने की भी जिम्मेदारी दी गई है।

कैबिनेट विस्तार के संकेत

सुशीला कार्की की सरकार के गठन के बाद अब सभी की नजरें उनकी कैबिनेट में संभावित सदस्यों की नियुक्ति पर हैं। माना जा रहा है कि कैबिनेट की पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। साथ ही, सेना प्रमुख द्वारा आपातकाल का सुझाव भी दिया गया है, जिसे कैबिनेट की पहली बैठक में चर्चा किया जाएगा।

सुशीला कार्की का राजनीतिक सफर

सुशीला कार्की का राजनीतिक सफर काफी लंबा और प्रेरणादायक रहा है। कानूनी पेशे में अपने करियर की शुरुआत करने वाली कार्की ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने लंबे समय तक न्यायपालिका में काम किया और अब कार्यपालिका की बागडोर संभालने में जुटी हैं।

हालांकि, नेपाल की राजनीति में उनकी भूमिका और निर्णय, दोनों ही अक्सर बहस का विषय रहे हैं। लेकिन हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में कार्की ने कहा कि वह भारतीय नेताओं से बेहद प्रभावित हैं, और मोदी जी के प्रति उनकी सकारात्मक धारणा रही है।

नेपाल की वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा

नेपाल की वर्तमान स्थिति और सुशीला कार्की की प्रधानमंत्री बनने के बाद की राजनीतिक दिशा ने देश में स्थिरता लाने की संभावनाओं को बढ़ाया है। हालाँकि, कैबिनेट विस्तार और चुनाव की प्रक्रिया के दौरान अनेक चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।

राष्ट्रपति पौडेल की ओर से उठाए गए कदम और कार्की की नियुक्ति को विभिन्न वर्गों द्वारा अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। कुछ इसे सुधार का संकेत मानते हैं, जबकि कुछ इसकी आलोचना भी कर रहे हैं।

अब यह देखना होगा कि नेपाल की नई सरकार इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और क्या यह देश की राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित कर पाएगी।

आगे का रास्ता

इसे ध्यान में रखते हुए, नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और इसकी भविष्य की दिशा पर नजऱ रखना आवश्यक होगा। जो कदम अब उठाए जाएंगे, वे न केवल नेपाल के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। अब सबकी उम्मीदें सुशीला कार्की और उनकी टीम पर हैं कि वे देश को इस संकट से बाहर निकालने में कैसे सफल होते हैं।

इस प्रकार, नेपाल में सुशीला कार्की का राजनीतिक उदय और उनका चुनावी घोषणा, न केवल नेपाल की राजनीति में एक नया अध्याय खोलेगा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक नई राजनीतिक नेतृत्व दिशा तय कर सकता है।

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