प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल जो करेगी पांडुलिपि धरोहर को सहेजने का काम, ज्ञान भारतम पोर्टल का लॉन्च
भारत की पांडुलिपि धरोहर को पुनर्जीवित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 सितंबर को विज्ञान भवन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करने के साथ-साथ ‘ज्ञान भारतम’ पोर्टल का भी उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन और पोर्टल दोनों ही भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिससे न केवल पांडुलिपियों का संरक्षण होगा बल्कि आम लोगों की पहुंच भी सुनिश्चित की जाएगी।
12 सितंबर को आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शीर्षक है “पांडुलिपि धरोहर के माध्यम से भारत की ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करना”। यह कार्यक्रम तीन दिवसीय है, जिसका उद्देश्य भारत की अनमोल पांडुलिपि धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करना और उसे संरक्षित करना है। सम्मेलन में विद्वान, संरक्षण विशेषज्ञ और नीति निर्धारक शामिल होंगे, जो पांडुलिपियों के संरक्षण, डिजिटलीकरण और आम जनता के लिए उनकी उपलब्धता पर चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ‘ज्ञान भारतम’ पोर्टल एक विशेष डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा जो पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और जनसुलभ बनाने के लिए बनाया गया है। यह पहल भारत की पांडुलिपि धरोहर को एक नई दिशा देने की कोशिश कर रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सहेजा जा सके।
बुद्धिजीवियों और तकनीकी विशेषज्ञों की भागीदारी
इस सम्मेलन में शामिल होने वाले विद्वानों और विशेषज्ञों का मानना है कि पांडुलिपियों को समझना और संरक्षित करना न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने का काम है, बल्कि यह वैश्विक ज्ञान संवाद को भी समृद्ध करेगा। इसमें तकनीकी विशेषज्ञ भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं, जो पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और नई तकनीकों के माध्यम से उनकी पहुंच को और अधिक सुगम बनाएंगे।
पांडुलिपियों का महत्व और संरक्षण की आवश्यकता
भारत की पांडुलिपियां, जो कई शताब्दियों पुरानी हैं, न केवल हमारे इतिहास को संजोए हुए हैं बल्कि वे हमारी ज्ञान परंपरा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पांडुलिपियों में विज्ञान, गणित, आयुर्वेद और अन्य विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज है, जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को उजागर करती है। हालांकि, कई पांडुलिपियों की स्थिति चिंताजनक है और उन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। ऐसे में ‘ज्ञान भारतम’ पोर्टल एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
भारत की ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करने का प्रयास
इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत की ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करना है। देश की पांडुलिपियों की बहाली और संरक्षण के साथ-साथ उनकी वैचारिक धारा को भी आगे बढ़ाना एक चुनौती है। इस दिशा में उठाए गए कदमों से न केवल पांडुलिपियों की पुनरावृत्ति होगी, बल्कि वे अगली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनेंगी।
आम जन के लिए ज्ञान का सागर
‘ज्ञान भारतम’ पोर्टल का मुख्य उद्देश्य पांडुलिपियों को आम लोगों तक पहुंचाना और उन्हें सुलभ बनाना है। इससे शिक्षा और जानकारी का एक नया द्वार खुलेगा, जहां लोग आसानी से पांडुलिपियों का अध्ययन कर सकेंगे। यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।
भविष्य की दिशा
इस पोर्टल के लॉन्च के साथ, यह स्पष्ट है कि भारत सरकार अपनी सांस्कृतिक धरोहर को महत्व देती है और उसे संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। यह कदम न केवल पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करेगा। आने वाले समय में, जब लोग पांडुलिपियों तक आसानी से पहुंच सकेंगे, तो यह न केवल ज्ञान का सागर बनेगा, बल्कि देश की संस्कृति को भी नई पहचान देगा।
भारत की पांडुलिपि धरोहर पर आधारित यह सम्मेलन और ‘ज्ञान भारतम’ पोर्टल एक आशाजनक भविष्य की ओर संकेत करते हैं। ऐसे प्रयास हमें अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करते हैं और हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। इस प्रकार, यह केवल एक डिजिटल प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण पहल है जो हमारे ज्ञान और संस्कृति को सहेजने में सहायक होगी।
इस समारोह की जानकारी के अनुसार,[अमर उजाला]के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी 12 सितंबर को विज्ञान भवन में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
यह ध्यान देने योग्य है कि इस पहल का उद्देश्य न केवल पांडुलिपियों का संरक्षण करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह धरोहर सुरक्षित और सुलभ बनी रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार अपनी सांस्कृतिक धरोहर को महत्व देने के लिए प्रतिबद्ध है और यह ‘ज्ञान भारतम’ पोर्टल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समाज के सभी वर्गों को इस उपलब्धि का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे हम सभी अपनी पांडुलिपि धरोहर से जुड़ सकें और उसे संरक्षित कर सकें।