मानसून सत्र के पहले दिन संसद में विपक्ष के तीव्र विरोध प्रदर्शन के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है। विपक्ष ने निर्वाचन आयोग की कार्यशैली और बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर चिंता जताई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक और राज्यसभा की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक स्थगित करने का निर्णय लिया।
हंगामा का कारण: वोट चोरी का आरोप
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि चुनावी प्रक्रियाओं में हो रही हेराफेरी और वोटों की चोरी संविधान की हत्या के समान है। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर पूरे देश में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है ताकि जनता समझ सके कि यह उनके अधिकारों का उल्लंघन है। खरगे ने कहा, “अगर ऐसे चोरी करके गद्दी पर बैठेंगे तो लोकतंत्र के लिए हितकारी नहीं है।”
इससे पहले, शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया को दोष दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने विपक्ष की उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव को रद्द करने की मांग की थी। इस प्रकार, विपक्ष का यह आरोप कमजोर साबित हो रहा है।
राजीव शुक्ला ने भी अपने बयान में बताया कि वर्तमान में वोट चोरी के खिलाफ जनआंदोलन चल रहा है, जिसमें राहुल गांधी की यात्रा भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग को सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।
विपक्ष का प्रदर्शन और विपक्षी दलों की स्थिति
सोमवार को, तेलंगाना कांग्रेस सांसदों ने संसद परिसर में यूरिया की कमी को लेकर प्रदर्शन किया, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल थीं। यह कार्यक्रम भी राजनैतिक हंगामे का एक हिस्सा था, जिसके परिणामस्वरूप लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित किया गया।
संसद में प्रश्नकाल के दौरान, विपक्ष ने लगातार हंगामा किया, जिसके चलते अध्यक्ष ओम बिरला को यह निर्णय लेना पड़ा। विपक्ष के इस प्रदर्शन में कई मुद्दे शामिल थे, जैसे कि मतदाता सूची में हेराफेरी और चुनावों की निष्पक्षता पर उठाए गए सवाल।
आप सांसद संजय सिंह ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संवैधानिक और चुनावी निहितार्थों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में कार्य स्थगन नोटिस दिया। इसी प्रकार, अन्य विपक्षी सांसदों ने भी चुनावी प्रक्रिया पर विभिन्न मुद्दों को उठाने के लिए नोटिस दिए हैं।
संसद के हंगामे का संदर्भ
इस वर्ष का मानसून सत्र महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसमें कई टकरावपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी आ रही है, और इससे लोकतंत्र को खतरा हो रहा है।
तिर्वता में विपक्ष का एकजुटता
कांग्रेस, शिवसेना, और अन्य विपक्षी दल इस मामले में एकजुटता दिखा रहे हैं और उनकी मांग है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले। उनका कहना है कि यदि यह समस्या हल नहीं हुई, तो यह आम जनता के लिए कठिनाई का कारण बनेगा।
प्रदर्शन के पीछे का कारण
विपक्ष का मुख्य आरोप यह है कि पिछले कुछ समय में कई जगहों पर मतदाता सूची में हेराफेरी की गई है, और यह चुनावी प्रक्रिया को कमजोर कर रहा है। इसलिए, उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मामले की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
उपसभापति हरिवंश ने भी राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्ष के हंगामे को देखते हुए कार्यवाही को स्थगित करने का निर्णय लिया। यह बताता है कि संसद में इस समय स्थिति कितनी तनावपूर्ण है।
हंगामे का असर
इस हंगामे का सीधा असर संसद के कामकाज पर पड़ा है, जिसके चलते महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह उनकी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है कि वे सरकार को accountable रखें और जनता के लाभ के लिए आवाज उठाते रहें।
जनता की अपेक्षाएँ
आम जनता इस हंगामे को लेकर चिंतित है और वे चाहते हैं कि संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। लोग यह सोच रहे हैं कि क्या उनकी समस्याओं का समाधान इस सत्र में होगा या नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र कई महत्वपूर्ण फैसलों और चर्चाओं का गवाह बनेगा, लेकिन अगर विपक्ष का हंगामा इसी तरह जारी रहा, तो सरकार को अपनी योजनाओं को लागू करने में कठिनाई होगी।

