नई दिल्ली: सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान की गिड़गिड़ाहट
सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। हाल ही में दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने इस संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया था। इस संवेदनशील मुद्दे पर पाकिस्तान ने अब भारत से गिड़गिड़ाते हुए अनुरोध किया है कि वह इस संधि की सामान्य प्रक्रिया को पुनः शुरू करे। इस घटना ने दक्षिण एशियाई जल विवादों की जटिलता को और बढ़ा दिया है।
क्या है सिंधु जल संधि?
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक महत्वपूर्ण संधि है, जिसमें दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के विभाजन की शर्तें निर्धारित की गई थीं। यह संधि पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें उसे अपने हिस्से का पानी प्राप्त होता है। हाल के दिनों में आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए थे, जिसमें इस संधि को निलंबित करना भी शामिल था।
कहाँ और कब हुआ हमला?
22 अप्रैल 2023 को, दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। इस हमले ने पूरे भारत में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता को उजागर किया है। भारत की सरकार ने इस हमले के तुरंत बाद सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया, जिसमें सिंधु जल संधि को स्थगित करना शामिल था।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि वह सिंधु जल संधि के पूर्ण क्रियान्वयन के प्रति प्रतिबद्ध है और उसे उम्मीद है कि भारत इस संधि की प्रक्रिया को यथाशीघ्र पुनः शुरू करेगा। यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था की स्थिति और जल संकट का सामना कर रहा है। इस बीच, पाकिस्तान ने आठ अगस्त को स्थायी मध्यस्थता न्यायालय द्वारा की गई व्याख्या का स्वागत किया था, जिसमें सिंधु जल संधि से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित किया गया था।
भारत का अडिग रुख
भारतीय सरकार ने पाकिस्तान की शिकायतें को निराधार बताया है। भारत ने पाकिस्तान की आपत्तियों के खिलाफ कभी भी अंतरराष्ट्रीय अदालत की सुनवाई नहीं स्वीकार की। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह पश्चिमी नदियों चेनाब, झेलम और सिंधु पर जलविद्युत परियोजनाएं बनाने का अधिकार रखता है।
जलवायु परिवर्तन और जल प्रबंधन
सिंधु जल संधि का विषय न केवल राजनीतिक, बल्कि जलवायु परिवर्तन और जल प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन के कारण, भारत और पाकिस्तान दोनों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण दोनों देशों के बीच जल विवाद और अधिक गंभीर हो सकते हैं।
दुनिया की नजरें
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के इस अनुरोध को एक चिंता के रूप में देखा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में उतार-चढ़ाव आता रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत इस संधि को बहाल करने पर सहमति देता है तो यह दो देशों के बीच बेहतर संबंधों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
भविष्य की दिशा
भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद केवल आपसी संबंधों को नहीं बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी प्रभावित कर सकते हैं। यदि पाकिस्तान अपने अपील में सफल होता है, तो यह क्षेत्र में लंबे समय तक शांति की दिशा में एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।
अभी देखना यह है कि क्या भारत अपने अडिग रुख को बनाए रखेगा या फिर वह पाकिस्तान की इस गुहार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा।
इस संकट के बीच, दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ संवाद और समझौता करने की आवश्यकता है ताकि वे भविष्य में जल विवादों को सुलझा सकें और क्षेत्र में स्थिरता को बनाए रख सकें।