भारत और ईरान के बीच मौजूदा तनावों के बीच, भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को ईरान के उप विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची से एक महत्वपूर्ण बातचीत की। इस चर्चा में उन्होंने ईरान की वर्तमान स्थिति, भारत के नागरिकों की सुरक्षा, और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया। जयशंकर ने ट्विटर पर यह जानकारी साझा की।
ईरान का दृष्टिकोण और भारत की नागरिक सुरक्षा
जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि “आज दोपहर मैंने ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची से बात की। मौजूदा जटिल स्थिति में ईरान के दृष्टिकोण और सोच को साझा करने के लिए उनकी सराहना करता हूं। भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी में मदद के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।” यह बातचीत ऐसे समय पर हुई जब ईरान की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति बेहद संवेदनशील है।
जयशंकर ने ईरान की स्थिरता पर चिंता व्यक्त की और बताया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। बता दें कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ईरान ने पहले भी कई बार सहायक भूमिका निभाई है, जिसे जयशंकर ने अपनी बातचीत में विशेष रूप से रेखांकित किया।
कहां, कब और क्यों: बातचीत का संदर्भ
ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच, डॉ. जयशंकर की यह वार्ता पारस्परिक संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय सुरक्षा को संजीवनी प्रदान करने की एक कोशिश मानी जा रही है। दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता को समझते हुए, जयशंकर ने अराघची से ईरान की सोच और दृष्टिकोण पर गहराई से चर्चा की।
यह वार्ता 27 जून 2025 को हुई, जब ईरान में राजनीतिक उथल-पुथल और अस्थिरता की पराकाष्ठा देखी जा रही थी। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के प्रयासों में ईरान की सहायता को सराहा। यह सहयोग विविधता में एकता के रूप में भी देखा गया, जहां दोनों देश एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान कर रहे हैं।
कैसे चल रही हैं वार्ताएं: भारत और ईरान का संबंध
भारत और ईरान के बीच रिश्ते हमेशा से पारंपरिक और ऐतिहासिक रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों का एक लंबा इतिहास है। लेकिन हाल के वर्षों में ईरान में बढ़ती राजनीतिक उथल-पुथल और इस्राइल के साथ तनाव ने इन रिश्तों को नया आयाम दिया है।
जयशंकर की बातचीत का मुख्य उद्देश्य ईरान से मौजूदा स्थिति में सहयोग की गुंजाइश को तलाशना है। भारत ने हमेशा ईरान के मामले में संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखा है, और इस बार भी वह ईरान के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने की कोशिश में है।
ईरान की मौजूदा स्थिति पर भारतीय प्रतिक्रिया
भारत ने ईरान की मौजूदा स्थिति और उसके परिणामों पर सावधानीपूर्वक नजर रखी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान में अस्थिरता का प्रभाव पूरे क्षेत्र पर पड़ सकता है, और भारत को इसके लिए तैयार रहना होगा। इसीलिए, जयशंकर का ईरान से संवाद स्थापित करना एक महत्वपूर्ण कदम है।
जयशंकर ने अराघची के साथ बातचीत में यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा ईरान के साथ एक स्थायी, मजबूत और संरचनात्मक संबंध चाहता है, जिससे दोनों देशों के बीच गहरा सहयोग हो सके। इस संवाद से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगा।
संभावित आगे की दिशा
ईरान के साथ भारत का यह संवाद न केवल भूराजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दोनों देशों के नागरिकों के लिए भी सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस वार्ता का परिणाम दोनों देशों के ईरानी नागरिक और भारतीय नागरिकों के लिए सकारात्मक हो सकता है।
स्रोतों के अनुसार, भारत और ईरान के बीच यह बातचीत सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में भी मददगार सिद्ध हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे संवाद से क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि भारत-ईरान वार्ताएं दोनों देशों के लिए एक नई दिशा निर्धारित कर सकती हैं। समय के साथ, यह देखने के लिए प्रेरित करता है कि क्या ईरान और भारत अपने संबंधों को और अधिक मजबूती देने में सफल हो पाते हैं।
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