बीजिंग में एनएसए डोभाल की उच्च स्तरीय बैठकों का महत्व
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने हाल ही में चीन के उप राष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की, जो कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सुरक्षा परिषद के सचिवों की 20वीं बैठक के दौरान हुई। इस बैठक का आयोजन ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में किया गया था, जहां विभिन्न देशों के प्रतिनिधि एकत्र हुए थे। डोभाल की इस मुलाकात का उद्देश्य न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर भी चर्चा करना था।
कहाँ, कब और क्यों: डोभाल की गतिविधियों का सारांश
डोभाल ने यह महत्वपूर्ण मुलाकात 24 जून, 2025 को की जब वे बीजिंग में थे। इस बैठक में भाग ले रहे अन्य देशों के प्रतिनिधियों के प्रमुखों से भी उन्होंने बातचीत की। चीन में भारतीय दूतावास ने इस बैठक की जानकारी दी है। इसके पीछे मुख्य कारण है क्षेत्रीय स्थिरता को सुनिश्चित करना और विभिन्न देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
इससे पहले, डोभाल ने रूसी रक्षा परिषद के उपसचिव अलेक्जेंडर वेनेदिक्तोव के साथ भी मुलाकात की, जहां दोनों पक्षों ने आपसी संबंध और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने भारत-रूस के विशेष रणनीतिक साझेदारी को सशक्त बनाने पर जोर दिया।
डोभाल की अन्य महत्वपूर्ण मुलाकातें
इसके बाद, डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की। इस बैठक में उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में हाल के घटनाक्रम की समीक्षा की और आपसी रिश्तों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।
डोभाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद का कोई भी रूप बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाना जरूरी है ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे।
डोभाल का बयान और उसके परिणाम
डोभाल के उस बयान का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि भारत और चीन के बीच संबंधों में हाल के कुछ सालों में तनाव बढ़ा है। डोभाल की इस पहल से यह संकेत मिलता है कि दोनों देश आपसी संबंधों को सुधारने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में बैठक का महत्व
इस बैठक में डोभाल की उपस्थिति से यह भी स्पष्ट होता है कि भारतीय नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी आवाज को मजबूती से प्रस्तुत कर रहा है। चीन में भारतीय प्रतिनिधियों की यह उच्च स्तरीय बैठक, भारत की विदेश नीति में सामरिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए की गई है। यह बैठक न केवल भारत-चीन रिश्तों को लेकर महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, बैठक के दौरान आतंकवाद, क्षेत्रीय स्थिरता, और आपसी संबंधों को बढ़ाने पर गहन चर्चा की गई। इस प्रकार की उच्च स्तरीय वार्ता से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दोनों देश मिलकर बड़े वैश्विक मुद्दों का समाधान कर सके।
डोभाल की ये मुलाकातें दिखाती हैं कि भारत अपने सुरक्षा हितों को सर्वोपरि रखते हुए, अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर है। आतंकवाद और सुरक्षा के मुद्दों पर समझौता न करने की नीति के साथ, भारत ने यह संकेत दिया है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
इससे पहले भी भारत ने विभिन्न देशों के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने का प्रयास किया है। ऐसे में, भारत-चीन के बीच हो रही ये चर्चाएँ भविष्य में दोनों देशों के रिश्तों को एक नई दिशा देने की संभावना रखती हैं।
डोभाल की इस यात्रा से जुड़ी और जानकारी के लिए, आप[यहाँ पढ़ सकते हैं](https://www.mea.gov.in) और[यहाँ भी](https://www.hindustantimes.com) जा सकते हैं।
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