नई दिल्ली: भारतीय छात्रों की घर वापसी का अभियान तेजी से जारी
ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे संघर्ष के बीच, भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। अब तक कुल 517 भारतीय नागरिक ईरान से सुरक्षित वापस आ चुके हैं, जिनमें छात्र, तीर्थयात्री, और अन्य नागरिक शामिल हैं। यह अभियान 21 जून 2025 को शुरू किया गया था और इसके तहत चार्टर्ड फ्लाइट्स के माध्यम से लोगों को दिल्ली लाया जा रहा है।
इस ऑपरेशन की आवश्यकता उस स्थिति के कारण हुई जब ईरान में सैकड़ों भारतीय छात्र युद्ध के हालात के कारण फंस गए थे। शनिवार की रात 11:30 बजे एक और निकासी उड़ान दिल्ली के हवाई अड्डे पर पहुंचने की संभावना है, जिससे छात्रों के परिवारों में राहत की लहर दौड़ गई है। इससे पहले, महान एयर की उड़ान, जिसमें 256 भारतीय छात्र शामिल थे, दिल्ली पहुंची थी।
किसी भी समय में, ये छात्र ईरान में फंसे थे, और उनकी वापसी को लेकर परिवार के सदस्यों के चेहरों पर चिंता और राहत दोनों का मिश्रण साफ दिखा। कश्मीर घाटी से आए छात्रों की चहेरे पर अपने घर लौटने की खुशी थी।
नए अध्याय का आरंभ
जम्मू और कश्मीर छात्र संघ ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की और सभी शेष छात्रों की सुरक्षित निकासी की प्रतिबद्धता दोहराई। संघ ने ईरानी अधिकारियों के साथ बातचीत को भी सकारात्मक बताया और कहा कि वे इस निकासी प्रक्रिया में पूर्ण रूप से सहयोग कर रहे हैं।
ऑपरेशन सिंधु के तहत यह दूसरी उड़ान थी, जिससे मात्र 24 घंटे के भीतर ईरान से निकाले गए भारतीय नागरिकों की संख्या में इजाफा हुआ। भारत के अधिकारियों ने ईरानी समकक्ष के साथ समन्वय कर छात्रों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने का काम किया।
तनाव का माहौल
ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते तनाव ने इस क्षेत्र में उथल-पुथल पैदा कर दी है, जिसके चलते कई भारतीय नागरिक और विशेषकर छात्र वहाँ फंसे हुए थे। संघर्ष के चलते क्षेत्रीय हवाई यात्रा भी बुरी तरह प्रभावित हुई। भारत की मदद से, ईरान ने अपनी सीमाएं खोलीं ताकि फंसे हुए भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से अपने देश वापस लौट सकें।
निकासी अभियान की विस्तृत योजना
इस ऑपरेशन के तहत कुल लगभग 1,000 भारतीय नागरिकों को विशेष उड़ानों के जरिए घर लाने की योजना है। इसमें तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से भी उड़ानें शामिल हैं, जो कि रविवार की सुबह 3 बजे दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है।
जैसा कि[अमर उजाला]की रिपोर्ट के अनुसार, 21 जून 2025 को ही इस अभियान का आगाज़ हुआ था, तब से अब तक भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षित निकासी की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।
छात्रों की चिंताओं का समाधान
छात्रों के परिवारों ने चिंता के साथ इस निकासी अभियान का अनुसरण किया है। कई परिवारों ने कहा कि वे अपने बेटों और बेटियों की सुरक्षित वापसी की प्रार्थना कर रहे थे। एयरपोर्ट पर छात्रों के परिजनों की आँखों में आंसू थे, लेकिन जब उन्होंने अपने प्रियजनों को सुरक्षित लौटते देखा, तब उनके चेहरे पर राहत की मुस्कान थी।
अंतरराष्ट्रीय सहायता भी महत्वपूर्ण
इस संकट के समय में अन्य देशों ने भी सहायता के प्रयास किए हैं। भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय संबंधों का यह एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। भारत के विदेश मंत्रालय ने विशेष रूप से ईरानी अधिकारियों द्वारा किए गए सहयोग और समर्थन की सराहना की है।
इस कठिन समय में भारत सरकार ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जो कदम उठाए हैं, वह वास्तव में सराहनीय है। जब भी ऐसे संकट सामने आते हैं, सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होती है, जो अब ईरान के मामले में देखा जा रहा है।
वापसी की प्रक्रिया के महत्व को समझना
छात्रों और नागरिकों की सुरक्षित वापसी न केवल उनके जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उनके परिवारों के लिए भी एक बड़ा राहत का स्रोत है। भारत सरकार का प्रयास संकट के समय में अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जो सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है।
इस राहत अभियान का उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि कोई भी भारतीय नागरिक ईरान में अकेला न रह जाए। सरकार ऐसे सभी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी हो सके।
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