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Tuesday, September 16, 2025

पाकिस्तानी सेना का इतिहास: आतंकवाद और परमाणु वैज्ञानिकों के गहरे संबंध

एशियापाकिस्तानी सेना का इतिहास: आतंकवाद और परमाणु वैज्ञानिकों के गहरे संबंध

पाकिस्तानी सेना और अलकायदा: खतरनाक रिश्तों का पर्दाफाश

पाकिस्तान की सेना और आतंकवाद का गहरा संबंध हमेशा से चर्चित रहा है। भारतीय सेना के हालिया ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद तनाव और भी बढ़ गया है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया और कई आतंकियों को ढेर किया। इस पूरे घटनाक्रम के बीच, पाकिस्तान की सेना के एक प्रमुख अधिकारी, लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी के पिता, सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद की चर्चा हो रही है।

सुल्तान बशीरुद्दीन का नाम अलकायदा से जुड़े रहने और परमाणु हथियारों से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों को गलत हाथों में पहुंचाने के लिए भी लिया जा रहा है। यह ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान, भारत के खिलाफ उकसावे की कार्रवाइयों में शामिल है। भारतीय सेना द्वारा उठाए गए इस कदम ने पाकिस्तान को अपने ही जाल में फंसा दिया है।

क्या हुआ: ऑपरेशन सिंदूर ने फिर बढ़ाया तनाव

भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कई आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने पाँच बड़े आतंकवादियों को मार गिराया है। जिन आतंकियों की हत्या की गई, उनमें मसूद अजहर का भाई और उसके साले का नाम भी शामिल है, जो आईसी-814 अपहरण मामले में वांछित थे।

इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने भारत में कई स्थानों पर ड्रोन हमले किए, जिसमें जम्मू-कश्मीर से लेकर गुजरात तक के 26 स्थानों को निशाना बनाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और भारत के साथ उसके संबंध तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं।

कौन हैं अहमद शरीफ चौधरी और उनके पिता?

लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी वर्तमान में पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता हैं। उनके पिता, सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद, एक चर्चित परमाणु वैज्ञानिक रहे हैं, जिनका नाम हमेशा से विवादों में रहा है। सुल्तान बशीरुद्दीन का जन्म अमृतसर में हुआ था और उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे थे। उन पर अलकायदा से संबंध रखने और परमाणु हथियारों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा करने का भी आरोप लगा था। बाद में पाकिस्तान सरकार ने उन पर प्रतिबंध भी लगाए।

क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?

यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान की सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच के खतरनाक संबंधों को उजागर करता है। कई बार देखा गया है कि पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी अपने देश के अंदर तख्ता पलट या सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रधानमंत्री और प्रशासन के विरुद्ध काम करते हैं। ऐसे में, अहमद शरीफ चौधरी के पिता का नाम अलकायदा से जुड़े होने और परमाणु जानकारी लीक करने के मामले में आना कई सवाल उठाता है।

कैसे फैला आतंकवाद?

पाकिस्तान का आतंकी नेटवर्क बहुत संगठित और परिपक्व है। इसमें ना केवल अलकायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन शामिल हैं, बल्कि कई स्थानीय समूह भी सक्रिय हैं। पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों ने खुद इन आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह एक ऐसा जाल है जिसमें पाकिस्तान के भीतर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक आतंकवाद का संकुल है।

भविष्य की संभावनाएँ

यदि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया तो निश्चित तौर पर भारतीय सेना और पाकिस्तान के बीच संघर्ष तेज हो सकता है। भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान ने अपनी कूटनीति नहीं बदली तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

इस लेख की जानकारी के अनुसार, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफलतापूर्वक संचालन के बाद अपने सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया है। आने वाले समय में किसी भी संभावित खतरे का सामना करने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और उनकी सैन्य कार्यप्रणाली की खतरनाकता को उजागर किया है। क्या पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव करेगा या फिर अपनी पुरानी आदतों को जारी रखेगा, यह देखना आगामी दिनों में महत्वपूर्ण होगा। भारतीय सेना की सजगता और संघर्ष को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा।

इसके साथ ही, यह प्रश्न भी उठता है कि क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएंगे। क्यों कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका और उसके संबंधों का खुलासा इसे और भी जटिल बनाता है।

यदि आप और अधिक जानना चाहते हैं, तो यहां जाएं:[BBC पर पढ़ें](https://www.bbc.com) और[The Guardian से जानें](https://www.theguardian.com)।

 

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