17.1 C
Delhi
Tuesday, November 11, 2025

महाकुंभ 2025: वैज्ञानिक ने गंगा जल की शुद्धता को बताया अल्कलाइन पानी के समान

इंडियामहाकुंभ 2025: वैज्ञानिक ने गंगा जल की शुद्धता को बताया अल्कलाइन पानी के समान

प्रयागराज में महाकुंभ के बीच गंगा जल की शुद्धता को लेकर नया विवाद

प्रयागराज के महाकुंभ में गंगा के जल की शुद्धता को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इस बीच, पद्मश्री डॉ. अजय सोनकर ने दावा किया है कि गंगा का जल स्नान के लिए केवल योग्य नहीं है, बल्कि यह अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध है। उन्होंने यह दावा गंगा के पांच प्रमुख घाटों से एकत्रित जल के नमूने की लैब में जांच के बाद किया है। उनके अनुसार, महाकुंभ में 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा स्नान करने के बावजूद गंगा जल की शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा।

डॉ. सोनकर ने अपने अध्ययन में बताया कि उन्होंने नैनी स्थित अपनी प्रयोगशाला में गंगा जल के नमूनों की गहन जांच की। उनकी रिपोर्ट से न केवल श्रद्धालुओं को बल्कि वैज्ञानिक समुदाय को भी हैरानी हुई है। उन्होंने गंगा जल की जांच को लेकर संदेह रखने वाले लोगों को अपनी प्रयोगशाला में आने की चुनौती दी है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह दावा?

गंगा जल की शुद्धता को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है और यह महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। जब इतने बड़े पैमाने पर लोग गंगा में स्नान कर रहे हैं, तो इसकी शुद्धता के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। डॉ. सोनकर के अनुसंधान ने इस विषय में एक नई रोशनी डाली है।

उनका कहना है कि गंगा जल की शुद्धता को लेकर जो संदेह उठाए गए हैं, वे पूरी तरह से आधारहीन हैं। उन्होंने कहा, “अगर किसी को भी गंगा जल की शुद्धता में संदेह है, तो वह मेरे सामने गंगा जल लेकर आए और मैं उसे अपनी प्रयोगशाला में जांचकर संतुष्ट करूंगा।”

गंगा जल की शुद्धता को लेकर किए गए इस अध्ययन ने न केवल स्थानीय लोगों में उत्साह लाया है, बल्कि यह उन श्रद्धालुओं के लिए भी एक संदेश है, जो महाकुंभ के दौरान गंगा में स्नान करने आते हैं।

स्नान का महत्व

महाकुंभ के दौरान गंगा में स्नान करना धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा है। भारतीय संस्कृति के अनुसार, गंगा जल में स्नान से पापों का नाश होता है और आत्मा को शांति मिलती है। इसीलिए, गंगा जल की शुद्धता की जानकारी श्रद्धालुओं के लिए बहुत मायने रखती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा जल का निरंतर उपयोग और इसकी शुद्धता की जांच आवश्यक है। गंगा के जल में प्रदूषण के स्तर की जांच करना और उसका सही आंकलन करना, आने वाली पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

डॉ. अजय सोनकर का योगदान

डॉ. अजय सोनकर, जो कि एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं, ने अपने करियर में कई अनुसंधान कार्य किए हैं। उन्होंने गंगा जल के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और उनके पास गंगा जल की शुद्धता से संबंधित कई शोध पत्र भी मौजूद हैं। उनका यह हालिया अध्ययन इस बात का प्रमाण है कि गंगा का जल अभी भी अपनी पवित्रता को बनाए रखे हुए है।

उनकी मेहनत और शोध ने न केवल गंगा जल की शुद्धता को स्थापित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बांधने वाले इस विषय पर और अधिक गहराई से अध्ययन की आवश्यकता है।

गंगा: हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा

गंगा नदी, जिसे भारत में ‘गंगा माँ’ कहा जाता है, केवल एक जलस्रोत नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है। कई लोग गंगा को ‘मां’ मानते हैं और उसे पूजते हैं। गंगा जल की शुद्धता न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

इस अध्ययन के बाद, अब सवाल यह उठता है कि क्या वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक स्थायी समाधान निकाला जाएगा, जिससे गंगा जल की गुणवत्ता को हमेशा बनाए रखा जा सके।

गंगा जल की शुद्धता पर चल रहे इस शोध और विवाद पर नजर रखना आवश्यक है। इस विषय पर आगे की जानकारी के लिए आप[अमर उजाला](https://www.amarujala.com) का अनुसरण कर सकते हैं।

इस लेख में प्रस्तुत जानकारी को ध्यान में रखते हुए, गंगा जल की शुद्धता और उसके धार्मिक महत्व को लेकर यह चिंतन आवश्यक है कि हम अपने धार्मिक स्थलों और जल स्रोतों की पवित्रता को हमेशा बनाए रखें।

 

अस्वीकृति
हमने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया है कि इस लेख और हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दी गई जानकारी सटीक, प्रमाणित और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त हो। यदि आपके पास कोई सुझाव या शिकायत हो, तो कृपया हमसे info@hamslive.com पर संपर्क करें।

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles