जीबीएस: गुलियन बैरे सिंड्रोम पर एक नज़र
महामारी और अन्य संक्रामक रोगों के बीच, अब महाराष्ट्र में गुलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) ने स्वास्थ्य परिदृश्य में हड़कंप मचा दिया है। हाल ही में पुणे में एक मरीज की मृत्यु हो जाने और 100 से अधिक लोगों में इस बीमारी के मामलों की पुष्टि होने के कारण स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह रोग क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, यह कैसे फैलता है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS)?
गुलियन बैरे सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम अपने ही तंत्रिका तंतु पर हमला कर देती है। यह बीमारी आमतौर पर एक वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद उत्पन्न होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मांसपेशियों में कमजोरी, हाथ और पैर में सुन्नपन, और कठोरता का अनुभव हो सकता है।
कहाँ और कब?
महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर पुणे में, जीबीएस के मामलों की संख्या बढ़ी है। हालात को देखते हुए, अधिकारियों ने इसे एक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। कोविड-19 के दौरान भी इस बीमारी के कुछ मामले सामने आए थे, लेकिन अभी हाल की स्थिति ने सभी को आशंकित कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकती है, लेकिन पुणे में छोटे बच्चों और बुजुर्गों में इसके मामले अधिक देखे जा रहे हैं।
क्यों हो रही है चिंता?
इस समय, राज्य पहले से ही बर्ड फ्लू के संक्रमण से जूझ रहा है, और जीबीएस के मामलों में अचानक वृद्धि ने स्वास्थ्य विभाग पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा दिया है। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, 16 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है, जिसमें से कई बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। यह स्थिति न केवल रोगियों के लिए बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रही है।
कैसे फैलता है GBS?
गुलियन बैरे सिंड्रोम अक्सर एक वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद शुरू होता है। संक्रमण के बाद शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया तंत्रिका तंतु को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों की कमजोरी और सुस्ती होती है। हालांकि, यह सीधे तौर पर संक्रामक नहीं है, लेकिन यह संक्रमणों से संबंधित है।
GBS के लक्षण क्या हैं?
जीबीएस के लक्षण में शामिल हैं:
1. **मांसपेशियों की कमजोरी**: प्रारंभिक अवस्था में यह कमजोरी पैरों से शुरू होती है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकती है।
2. **सुन्नपन और झुनझुनी**: हाथों और पैरों में सुन्नपन, जकड़न या झुनझुनी का अनुभव होना आम है।
3. **श्वसन में कठिनाई**: गंभीर मामलों में, रोगी को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, जिसके लिए वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता पड़ सकती है।
कैसे करें बचाव?
जीबीएस से बचाव के लिए कोई विशिष्ट वैक्सीन नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखना, बाहरी वातावरण में सावधान रहना, और भरपूर पोषण लेना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, संक्रामक बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरंत स्वास्थ्य सेवा से संपर्क करना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई
महाराष्ट्र सरकार ने जीबीएस के बढ़ते मामलों पर ध्यान देने के लिए सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया है। वे विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो इस बीमारी के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया है ताकि आवश्यक उपचार और देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
अगले कदम क्या होंगे?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जीबीएस के मामलों में वृद्धि हो सकती है, इसलिए सभी को सतर्क रहना चाहिए। अलावा इसके, सरकार और स्वास्थ्य संगठन इस संदर्भ में अपने उपायों को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
रोग के बारे में अधिक जानकारी
जीबीएस पर अधिक जानकारी और स्वास्थ्य सुझावों के लिए[World Health Organization](https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/guillain-barre-syndrome) और[Centers for Disease Control and Prevention](https://www.cdc.gov/guillain-barre/index.html) की वेबसाइटों पर जा सकते हैं।
इस बीमारी का प्रभाव और इसके लक्षण समझना सभी के लिए जरूरी है ताकि स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखा जा सके और जनता को समय रहते सही चिकित्सा सहायता मिल सके। हम सभी को इस तरह के संक्रामक रोगों के प्रति जागरूक रहना होगा और स्वास्थ्य सेवा के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।