बुलडोज़र भाजपा से बिहार के विधान परिषद् डॉ. दिलीप जायसवाल के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सामने चला, बच गया भाजपा ज़िला अध्यक्ष सुशांत गोप का मकान
किशनगंज के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सामने दर्जनों दुकान पर शुक्रवार को बुलडोज़र चला दिया गया। नगर परिषद के ज़रिए की गई कार्रवाई से कथित तौर पर अवैध रूप से सरकार की ज़मीन पर बसे लोगों में ख़ौफ़ का माहौल है।
बुलडोज़र चलाने की इस कर्रवाई को नगर परिषद के ज़रिए शुक्रवार को माता गुजरी मेडिकल कॉलेज (एमजीएम) के सामने अंजाम दिया गया। एमजीएम उत्तर दिनाजपुर रोड में स्थित है जिसके सामने बताया जा रहा है कि सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से घर और दुकानें बनी हुई थीं।
उधर बुलडोज़र चलाने की इस कार्रवाई की मुखालिफ़त करने वाले कई लोग इस कार्रवाई को गृह मंत्री श्री अमित शाह के अगले किशनगंज दौरे से भी जोड़ कर देख रहे हैं। इसलिए कि बताया जा रहा है कि वहीं भाजपा के ज़िला अध्यक्ष सुशांत गोप का भी मकान है जिसपर बुलडोज़र की कारवाई नहीं हुई है। अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक़ गृह मंत्री अपने किशनगंज दौरे में एमजीएम के गेस्ट हाउस ही में ठहरने वाले हैं जिसके सामने बुलडोज़र चलाकर अतिक्रमण को हटाया गया है। बता दें कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. दिलीप जायसवाल हैं जो भाजपा से बिहार के विधान परिषद् भी हैं।
बुलडोज़र की इस कर्रवाई को कई कारणों से खौफ़ से देखा जा रहा है, उनमें से कई अहम कारण ये हैं:
- उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली और कई अन्न राज्यों तक अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोज़र चलाने को लेकर भाजपा वाली किसी भी सरकार को कड़ा रुख अपनाने वाला प्रशासन समझा जाने लगा है।
- बुलडोज़र की यह कार्रवाही ऐसे समय पर हुई है जब शहर (किशनगंज) में इसी माह गृह मंत्री श्री अमित शाह का दौरा होने वाला है।
- बुलडोज़र चलाने की इस कर्रवाई को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सामने अंजाम दी गई है जिसके मालिक और निदेशक डॉ. दिलीप जायसवाल हैं और जो भाजपा से बिहार के एमएलसी हैं।
- खबरों के मुताबिक़ बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सीमांचल के रास्ते बिहार को साधने की तैयारी कर रहा है और एक महीने के अंदर केंद्रीय मंत्रियों का सीमांचल में दौरा करना इस बात का संकेत दे रहा है।
- केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग की सदस्य अंजू बाला के बाद गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय का सीमांचल में एक सप्ताह के अंदर दौरा हो चुका है।
- सूत्रों के मुताबिक़ सितंबर महीने ही में गृहमंत्री अमित शाह का पूर्णिया में एक जनसभा भी होने वाला है।
- गृह मंत्री अमित शाह की इसी जनसभा से बिहार को साधने की शुरुआत मानी जा रही है। जहां 23 सितंबर को गृहमंत्री अमित शाह की जनसभा होगी वहीं 24 सितंबर को गृहमंत्री किशनगंज में भी रहेंगे और माना जा रहा है कि यहां अमित शाह मिशन बिहार शुरू करेंगे।
आलोचकों का मानना है कि बुलडोज़र की कर्रवाई अमित शाह के आने के कारण किशनगंज ज़िला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के बहाने सैकड़ों गरीबों का आशियाना उजाड़ दिया है और रोज़ी रोटी के एक मात्र ज़रिए पर बुलडोज़र चला दिया है।
हालांकि अभियान आज शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रहेगा। प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमणकारियों को 25 अगस्त को ही नोटिस देकर खुद ही ज़मीन खाली करने को कहा गया था। इसके बाद 31 अगस्त को माइकिंग भी करवाई गई थी। इसके बावजूद अतिक्रमणकारी सरकार की ज़मीन पर जमे हुए थे। शुक्रवार को मौसम खराब रहने के बावजूद नगर प्रशासन भारी तादाद में पुलिस बल के साथ आया और कार्रवाई कर सभी दुकानों को तोड़ दिए।
कई लोग अपने दुकान से सामान निकालने की मोहलत भी मांगते हुए नज़र आए लेकिन प्रशासन ने एक की भी नहीं सुनी। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक कुमार और सीओ समीर कुमार की अगुवाई में कार्रवाई को अंजाम दिया गया। कार्रवाई को लेकर गहमागहमी बनी रही।
हाई कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई?
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश पर की गई है। उन्होंने कहा कि सिकन्दर सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकारी ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े का मामला उठाया था। हाई कोर्ट ने इस मामले में एसडीएम को कार्रवाई करते हुए अनुपालन की सूचना तलब किया था। अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए एसडीएम अमिताभ कुमार गुप्ता ने छह सदस्यीय टीम का गठन कर अविलंब सरकार की ज़मीन को खाली करवाने का आदेश जारी किया था।
सीओ समीर कुमार के मुताबिक़ आज शनिवार को दूसरे दिन भी खगड़ा मेला गेट से सर्किट हाउस तक अतिक्रमण किये गए ज़मीन को खाली करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी विधिवत सूचना संबंधित लोगों को दी जा चुकी है।
सरकारी सड़क पर बने मकान की शिकायत पर हुई कार्रवाई
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार एमजीएम के सामने कार्रवाई करने के बाद टीम दिलावरगंज वार्ड संख्या 10 पहुंच गई। भारी संख्या में पुलिस बल के साथ जेसीबी गाड़ियों का काफिला देखकर आसपास के लोग भी काफ़ी तादाद में जमा हो गए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ स्थानीय भास्कर मिश्रा ने नगर परिषद में शिकायत दर्ज करवाया था कि सरकारी सड़क 20 फीट चौड़ी है। लेकिन लोगों द्वारा सड़क पर मकान बना लेने से रास्ता सिकुड़ कर आठ फीट हो गया है। शिकायत का सत्यापन पर आरोप सही पाए जाने के बाद टीम कार्रवाई करने पहुंची।
अधिकारियों के मुताबिक़ कई लोगों ने सरकारी सड़क पर मकान और गैरेज का निर्माण कर लिया था। नप कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा कि इसे अभी हटाया जाएगा। लेकिन अतिक्रमणकारियों के ज़रिए अनुनय विनय के बाद लिखित रूप से सात दिनों का समय लिया गया। नप कर्यपालक पदाधिकारी ने कहा कि अगर तय समय पर सरकारी ज़मीन मुक्त नहीं हुआ तो प्रशासन कार्रवाई करेगी। साथ ही ये भी कहा गया है कि मकान तोड़ने पर आने वाली खर्च की राशि भी वसूल किये जाएंगे।
भाजपा का मिशन सीमांचल
किशनगंज ज़िला में बीजेपी की स्थिति बहुत ज़्यादा खराब है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉ. दिलीप जायसवाल जो एक मात्र भाजपा एमएलसी हैं को छोड़ दें तो यहां से न तो बीजेपी का कोई विधायक है और न ही कोई सांसद है। किशनगंज ज़िले की 4 विधानसभा सीटों में 3 पर आरजेडी (दो AIMIM विधायक) और एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस का क़ब्ज़ा है, जबकि 2019 लोकसभा चुनावों में मोदी की ज़बर्दस्त लहर के बावजूद भी किशनगंज लोकसभा सीट कांग्रेस के डॉ. मोहम्मद जावेद ने जीत ली थी। पूरे बिहार में महागठबंधन की एकमात्र जीती हुई लोकसभा सीट किशनगंज ही है।
सीमांचल को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की भी हो सकती है घोषणा
हाल ही में पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में आयोजित एक कार्यक्रम में बीजेपी के एक नेता की ओर से केंद्र शासित प्रदेश की ज़ोरदार मांग की गई थी। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री निशित प्रमाणिक भी मौजूद थे। नौभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार गृह राज्यमंत्री निशित प्रमाणिक ने इस मांग के बाद ज़ोरदार तालियां बजाकर इसका समर्थन भी किया था।
बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से लेकर उत्तर बंगाल के कई विधायक सांसद लगातार इन क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग करते आ रहे हैं। अगर भविष्य में इन क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया तो बिहार के पूर्णिया के साथ साथ किशनगंज भी इससे जुड़ जाएगा। इसलिए इस बात पर खुसुर-पुसुर पहले से चल रही है कि गृहमंत्री अमित शाह के अगले किशनगंज दौरे के दौरान यह मुद्दा भी अहम हो सकता है।

