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Tuesday, November 11, 2025

नवंबर में औद्योगिक वृद्धि और दिसंबर की मंहगाई के निराशाजनक आंकड़े से परेशान भारतीय अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्थानवंबर में औद्योगिक वृद्धि और दिसंबर की मंहगाई के निराशाजनक आंकड़े से परेशान भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय अर्थव्यवस्था की सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर-2021 में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ कर 5.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो छह माह का उच्चतम स्तर है. नवंबर में खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 4.91 प्रतिशत थी.

नवंबर में औद्योगिक वृद्धि और दिसंबर की मंहगाई के निराशाजनक आंकड़े, भारतीय अर्थव्यवस्था की चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं पर सवाल बढ़ाते नज़र आ रहे हैं.

कोविड-19 के बढ़ते भय के साथ साथ कमज़ोर वृद्धि को संभालने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ब्याज सस्ता रखने की अपनी मौजूदा नीति को बरक़रार रख सकता है, लेकिन इसके साथ मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने का जोखिम भी बढ़ेगा.

आरबीआई ने दिसंबर की द्वैमासिक समीक्षा में अपनी मुख्य ब्याज दर रेपो को चार प्रतिशत और नीतिगत रुख को लचीला बरक़रार रखा था.

यह भी चर्चा शुरू हो गयी थी कि अमेरिका सहित प्रमुख वैश्विक बैंक पांच जमाती मुद्रास्फी से निपटने के लिए असामान्य रूप से नरम नीति में बदलाव की राह अपना सकते है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर-2021 में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ कर 5.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी जो छह माह का उच्चतम स्तर है. नवंबर में खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 4.91 प्रतिशत थी.

नवंबर 2021 की औद्योगिक वृद्धि दर अनुकूल तुलनात्मक आधार के बावजूद मात्र 1.4 प्रतिशत रही जो बाजार में लगाए जा रहे पूर्व अनुमान के आधे के बाराबर है.

विश्लेषकों का कहना है इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि अक्टूबर-नवंबर में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को गंभीर रूप से झटका लगा है.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल अग्रवाल ने कहा, “नवंबर-21 के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में वृद्धि केवल 1.4 प्रतिशत रही तब कि इसके 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा रहा था. मुझे पूरा यकीन है कि तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि 6.3 प्रतितशत रहने की सर्व सम्मत अनुमान लगाया जा रहा था उसे 05 से 5.5 प्रतिशत कर दिया जाएगा.”

पिछले साल औद्योगिक उत्पादन नवंबर में 1.7 प्रतिशत संकुचित हुआ था. नाइट फ्रैंक की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘नवंबर-21 की औद्योगिक वृद्धि का मंद पड़ना चिंताजनक है. यह इससे पिछले महीने से चार प्रतिशत नीचे आ गयी.’

उन्होंने कहा कि खुदरा मंहगाई भी दिसंबर में उछल कर रिजर्व बैंक के संतोष की उपरी छह प्रतिशत की सीमा के नजदीक पहुंच गयी है.

इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि नवंबर में औद्योगिक उत्पादन सूचंकांक में नरमी आने की संभावना थी पर यह नौ माह के बहुत कमजोर स्तर पर आ गया.

त्योहारी मौसम खत्म होने के असर के साथ दक्षिण राज्यों में भारी बाढ़ तथा वाहन उद्योग में दिक्कतों के लगतार बने रहने का औद्योगिक उत्पादन पर असर दिख रहा है.

नवंबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट का विस्तार बड़ा रहा.

पूंजीगत सामान और टिकाऊ उपभोक्ता सामान उद्योग में माह के दौरान संकुचन और गहरा हुआ.

उन्होंने कहा कि खनन और विनिर्माण उद्योग का उत्पादन कोविड के पहले से भी नीचे जाना निराशाजनक है.

नायर ने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के शुरू होने के साथ 1-9 जनवरी के बीच जीएसटी ई-वे बिलों का दैनिक सृजन घट कर 20 रह गया जो पिछले महीने औसतन 23 लाख रोज का था.

उनकी राय में यह ‘आने वाले महीनों की आर्थिक गतिविधियों के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 7 जनवरी को जारी अपने प्रथम आरंभिक अनुमान में वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो इससे पिछले माह रिजर्व बैंक ने वृद्धि दर के अपने वार्षिक अनुमान को 9.5 प्रतिशत बनाए रखा था.

सीएसओ का अनुमान अप्रैल से अक्टूबर 2021 तक के प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है.

पिछले वित्त वर्ष में भारत का जीडीपी कोविड-19 और लाकडाउन आदि के चलते सालाना आधार पर 7.3 प्रतिशत संकुचित हुआ था.

विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि 8.3 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 8.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है.

सीएसओ के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडपी वृद्धि 13.7 प्रतिशत रही और दूसरी छमाही अक्टूबर-मार्च 2021-22 में 5.6 प्रतिशत रहेगी.

रिजर्व बैंक का पिछले माह का अनुमान था कि अक्टूबर दिसंबर 21 के दौरान जीडीपी वृद्धि 6.6 प्रतिशत रही और आखिरी तिमाही जनवरी-मार्च 22 में यह छह प्रतिशत रहेगी.

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